Manushya Ka Kaun Saa Ang Avsheshi Ang Hota Hai मनुष्य का कौन सा अंग अवशेषी अंग होता है

मनुष्य का कौन सा अंग अवशेषी अंग होता है



GkExams on 25-02-2019

अवशेषी अंग…..वो अंग जो बेकार हैं…जिनकी उपयोगिता मनुष्य के लिए अब समाप्त हो चुकी हैं|


रही होगी कभी, हमारे पूर्वजों में। कालान्तर में प्रकृति को लगा होगा कि ये सब अंग बेकार हैं इसलिए अब इन अंगों का आयात-निर्यात बंद कर दो। जैसे डाक विभाग ने टेलीग्राम बंद कर दिया।


एक दो नहीं पूरे दस अंग हैं, जो अवशेषी हैं मानव शरीर में।


पहला है अपेंडिक्स।


जानते होंगे आप। तब काम आता था जब हमारे पूर्वज घास फूंस खाया करते होंगे। घास फूंस के पाचन में सहायता करता था। अब तो यह डॉक्टरों की सहायता करता है, मानव के पेट में इंफेक्टिड होकर। निकालने के एवज में डॉ साहब की नई कार की कई ईएमआई चली जाती हैं।


दूसरा है साइनस। बेकार है, कुछ काम का नहीं है, सिवाय सिर में दर्द करने के।


तीसरा है अक्कल दाढ़। जब निकलती है तो जान निकाल देती है। दांतों के डॉक्टर्स की कमाई का जरिया है, और कुछ नहीं।


चौथा है पूंछ की हड्डी। कुदरत ने मानव को पूंछ लगाकर भेजना बंद कर दिया, मगर आज भी ज्यादातर भरतवंशी पूंछ हिलाते नज़र आते हैं। शायद पुरातन काल की यादें अभी भी अवचेतन मन में अवशेष हैं।


पांचवा है कान की मांसपेशी। मानव में इसकी उपयोगिता तभी समाप्त हो गई थी जब से दीवारों के भी कान होने लगे।


छटा है रोंगटे खड़े करने वाली अररेक्टर पिली। पहले काम में आती रही होंगी – जैसे सीही अपने रोंगटे खड़े करके शत्रु को डरा देती है। जब से मानव ने दूसरों को डराना चालू किया तो उसमें यह अवशेषी अंग होकर रह गई।


सातवां है टॉन्सिल्स। ये भी डॉक्टर्स के बहुत काम का है, और हमारे किसी काम का नहीं।


आठवां है नरों में निप्पल्स। दूध पिलाने का काम मादा के हिस्से में आते ही नरों में यह अवशेषी हो गए। मानव क्या….. सभी स्तनधारियों में।


नौंवा है पामर ग्रास्प रिफ्लेक्स। तब काम में आता था जब माता अपने बच्चे को अपने बदन से चिपका कर चलती रही होगी। कभी नवजात बच्चे की हथेली पर अपनी अंगुली रखकर देखना। मजबूती से पकड़ लेगा आपको। इतनी मजबूती से कि अगर आप उसे एक अंगुली के सहारे उठाना चाहो तो उठा लोगे। कभी उसे अपनी छाती से लगाकर उसके पैरों पर गौर करना। आपको जकड लेंगे। यह व्यवस्था लगभग छह माह तक कायम रहती है। यही पामर ग्रास्प रिफ्लेक्स है।


और दसवां है निकटिटेटिंग मेम्ब्रेन। उस समय काम में आती थी जब मानव के पूर्वज जलचर थे। बाद में थलचर होते ही इसका काम खत्म और इसका दर्ज़ा अवशेषी। आजकल निकटिटेटिंग मेम्ब्रेन की जगह ले ली है बेशर्मी के परदे ने। जब हमारे पूर्वज पानी में रहते थे तो एक पारदर्शक झिल्ली उनकी पुतली पर चढ़ जाती थी, जिसकी वजह से वो पानी के अंदर साफ़ साफ़ देख भी पाते थे, और आँख भी बच जाती थी। इसी को निकटिटेटिंग मेम्ब्रेन कहते हैं।






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Comments Atul Kumar Sahu on 13-07-2022

Master granthi hai

Vikas kumar on 15-11-2021

हमारे शरीर मे कितनी हड़िया होती है





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