Ghoomar Nritya Ki Visheshta घूमर नृत्य की विशेषता

घूमर नृत्य की विशेषता



GkExams on 12-05-2019

‘घूमर‘‘ राजस्थान की एक पारम्परिक नृत्यशैली है जिसमें विभिन्न मांगलिक एवं खुशी के अवसरों पर महिलाएं श्रृंगारिक नृत्य करती है। मुगलकालीन युग में औरतें पुरूषों से पर्दा करती थी अतः यह नृत्य भी मुह ढककर ही तब से अब तब कमोबेश करने की परम्परा चली आ रही है। राजमहलों, सामन्तों, राजपूतों के घरों में विशेष रूप से किया जाने वाला यह नृत्य राजपूतों की महिलाओं की अन्य प्रान्तों में शादियों के साथ अनेक स्थानों पर विभिन्न रूपों में प्रचलित हो गया। विशेषत: गणगौर विवाह आदि अवसरों पर यह नृत्य महिलाओं द्वारा स्वान्तःसुखाय किया जाता है। अच्छे वस्त्रों एवं गहनों से लक-दक महिलाएं जब स्त्रियोचित कोमलता के साथ इस नृत्य को करती है तो देखने वाले रोमांचित हो जाते है। कालान्तर में यह रजवाडों से निकलकर विद्यालयों में सिखाया जाने लगा लेकिन इसके बोलों, तालों एवं लय में एकरूपता न होने से अनेक रूपों में प्रचलित हो गया।

गणतन्त्र की परेड एवं मास्को में प्रस्तुति से इस नृत्य को प्रचार-प्रसार मिला तथा अन्तर्राष्ट्रीय पहचान मिली। इस नृत्य को किए जाने के लिए साज के रूप में नगाडा एवं शहनाई की आवश्यकता होती थी। यह साज धीरे-धीरे लुप्त होते जा रहे थे ऐसी स्थिति में नृत्य की विशेषता को देखते हुए वीणा समूह के अध्यक्ष के.सी. मालू ने 1987 में वीणा समूह के प्रारम्भ के साथ ही इस नृत्य की बारिकीयों का अध्ययन करना शुरू किया एवं मिलिनीयम 1999 में पहला ‘‘घूमर‘‘ अलबम जारी किया जिसने लोक संगीत की लोकप्रियता के सारे रिकार्ड तोड दिए। इसी से प्रेरित हो मालू ने घूमर के 2,3 व,4, भाग जारी किए जिनमें घूमर नृत्यशैली के अनेक गीत संकलित किए गए। तब तक घूमर पूरे देष में फैल चुका था सभी प्रान्तों के लोग इसे सुनने एवं करने को लालायित हो चुके थे। लगभग 50 लाख प्रतियों से अधिक घूमर हाथो-हाथ देश-विदेश में पंहुच गई। यहां तक की अमेरिका में होने वाले राना के समारोह में भी वहां की युवतियों ने वीणा के घूमर ट्रेक पर नृत्य किया। चैनल ‘आज तक‘ ने ‘‘घूमर‘‘ और ‘‘वीणा‘‘ को एक दूसरे का पर्याय बताया। सीमाओं पर लडते हुए सिपाहियों से लेकर ट्रक चालको, लग्जरी कारों में सफर करने वाले देषी-विदेषी पर्यटकों की ‘‘घूमर‘‘ पहली पसन्द बन गया।

वीणा के प्रयासों से अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों के अवसर पर विभिन्न विद्यालयों के संगीत शिक्षकों से इसे लोकप्रियता दिलाते हुए सभी दिल्ली तथा अन्य प्रान्तों में स्कूलों में दो नृत्य सिखाना आवश्यक हो गया जिनमें घूमर एक है। अपने नृत्य सौष्ठव एवं आकर्षण के बावजूद ‘‘घूमर‘‘ गुजरात के डांडिया की भांति जन-जन में लोकप्रिय करने के लिए मालू ने जयपुर नगर निगम के साथ मिलकर योजना बनाई एवं सन् 2006 में प्रशिक्षण देकर विधानसभा के सामने जनपथ पर 2000 महिलाओं द्वारा घूमर नृत्य का अभूतपूर्व आयोजन करवाया। अगले वर्ष 2007 में इसे आगे बढाते हुए त्रिपोलिया दरवाजे को मंच बनाते हुए बडी चौपड से छोटी चौपड तक 5000 महिलाओं द्वारा 70 - 70 महिलाओं के 74 गोले बनवाकर ऐतिहासिक एवं रोमाचंक नृत्य की अभूतपूर्व प्रस्तुति करवाई गई। मालू इससे भी सन्तुष्ट नहीं है वे इस संख्या को लाखों में बढाना चाहते है। वे चाहते है कि राजस्थान में घूमर के दस हजार प्रशिक्षक तैयार किए जावे और उनके द्वारा विभिन्न शिक्षण एवं सार्वजनिक संस्थाओं के साथ मिलकर घूमर का प्रशिक्षण दिया जावे और एक दिन राजस्थान एवं देश के विभिन्न भागों में एक साथ लाखों लोग घूमर नृत्य की प्रस्तुति देकर कीर्तिमान स्थापित करें।

इसी प्रयास में मालू गौहाटी, बैंगलोर, कलकत्ता, दिल्ली, विशाखापटटनम, मद्रास, सूरत आदि विभिन्न स्थानों पर घूमर के आयोजन कर इसकी लोकप्रियता बढाने में सफल रहे हैं। इतना ही नहीं पिछले वर्ष हैदराबाद, पटना में स्थानीय महिलाओं को प्रषिक्षण देकर प्रवासी राजस्थानियों में इसकी लोकप्रियता बनानी शुरू कर दी है। वे विषेष कर अमेरिका, यूरोप, दक्षिणपूर्व में प्रवास रत राजस्थानियों में महिलाओं को घूमर का प्रषिक्षण देकर परम्पराओं की मुख्य धारा के साथ जोडने हेतु प्रयासरत है। वे उम्मीद करते है कि घूमर के इस सम्मान से इसकी लोकप्रियता एवं प्रतिष्ठा तो बढेगी ही साथ ही राजस्थान सरकार उचित कदम उठाते हुए सहयोग प्रदान करेगी।

सरकारी सहयोग एवं सहायता के तरीकों पर अफसोस जाहिर करते हुए मालू ने कहा कि आज राजस्थान सरकार अन्य मदों पर हजारों करोड रूपये खर्च कर रही है लेकिन कला, संस्कृति संस्थाओं का बजट 10-20 करोड तक सीमित है। आज जब प्रदेश में डाक्टरों, इंजीनियरों, और दस्तकारों के प्रशिक्षण के लिए स्कूल है, कलाकार तैयार करने के लिए कोई योजना नहीं है। इसी कारण पिछले 10 वर्षों से राजस्थान में नये कलाकार पैदा होने में शून्यता आई है।



‘‘घूमर‘‘ के सम्बन्ध में मुख्य बातें ===========

1. सन् 1987 में कला मर्मज्ञ के.सी. मालू ने वीणा म्यूजिक की स्थापना की तब अपने पहले केलेण्डर में ‘‘घूमर‘‘ अलबम निकालना तय किया।

2. घूमर की महत्ता व उसके संगीत पक्ष के विराट स्वरूप को देखते हुए मालू ने संगीतकार रामलाल माथुर के साथ इस विषय पर 11 वर्षों तक लगातार गहन रिसर्च कर व इसके एक सर्वमान्य पाठ व धुन का निर्धारण किया।

3. सन् 1999 में ‘घूमर‘ के प्रथम भाग के लोकार्पण के साथ ही लोक संगीत के युग में नई आषा का सूत्रपात।

4. सन् 2000 में घूमर-2 व 2001 में घूमर-3 व 2002 में इसका चौथा भाग इसकी अपार लोकप्रियता का परिचायक है।

5. 2002 में इसकी 10 लाख प्रतियां बिकी जो लोक संगीत के इतिहास में रिकार्ड बनी।

6. अब तक लगभग 50 लाख से अधिक प्रतियां देशी-विदेशी लोगों तक पंहुची।

7. देश के विभिन्न भागों में ‘‘वीणा समूह‘‘ द्वारा घूमर के प्रचार-प्रसार हेतु अब तक 500 से अधिक शो आयोजित किए गए है।

8. 26 जनवरी, 15 अगस्त को राजपथ पर निकलने वाली झांकियों में वीणा के घूमर नृत्य का प्रदर्शन 3 बार से अधिक हो चुका है।

9. अमेरिका में राना, कनाडा, सउदी अरब, जर्मनी, कम्बोडिया, वियतनाम, लंदन आदि में भी अनेक शो व प्रशिक्षण आयोजित।

10. के.सी. मालू का एक सपना है कि लोग जब नाटक, फिल्म आदि टिकट खरीदकर देखते हैं तो राजस्थानी शो क्यों नहीं ? संभवतः अब वह स्वपन आकार लेने लगा है।

11. सरकारी सहयोग व जगह की उचित व्यवस्था यदि हो तो प्रतिवर्ष 5-10 हजार युवतियों को घूमर व इससे जुडे अन्य राजस्थानी लोकगीतों एवं नृत्यों का प्रशिक्षण देकर लोक संगीत की लोकप्रियता में आश्चर्यजनक वृद्धि की जा सकती है।

12. राजस्थानी भाषा को संविधान की अनूसूची में मान्यता नहीं मिल पाई है जबकि राजस्थानी घूमर नृत्य को विश्व ने मान्यता देकर राजस्थान व राजस्थानी भाषा का गौरव बढाया है। यह इसको मान्यता दिलाने में एक दूरगामी कदम बनेगा।




सम्बन्धित प्रश्न



Comments Shera ram on 11-08-2023

घूमर नृत्य को राज्य नृत्य का दर्जा कब दिया गया ?

Ankush bishnoi on 09-07-2023

घूमर को लोकनृत्यो की आत्मा किसने कहाँ हैं

Prem on 22-04-2023

घूमर नृत्य को राजस्थान का राज्य नृत्य कब घोषित किया गया


Suresh kumar dagdhi on 27-03-2023

घूमर नृत्य को राजस्थानी नृत्य की मान्यता कब मिली

DASHARAT SINGH on 03-09-2022

Ghumar ko rajya nartyr ka darja kab diya geya

Ankit bindal on 02-09-2022

घूमर नृत्य को राज्य नृत्य का दर्जा कब दिया गया

Nikhil kumar on 13-08-2022

National park in assam


Kab kiya konse festival par on 07-03-2022

Konse festival par kiya Mata hai



ओम प्रकाश on 06-06-2020

घुमर नृत्य किस जनजाति का हैं

Chandrakanta nagar on 28-10-2020

घूमर को राजकीय नृत्य कब घोषित किया गया था

Jaswant meghwal on 06-11-2021

1857 ki kranti ka sutrapaat rajasthan me kaha se hua h

Insa on 18-01-2022

घूमर को राज्य नृत्य कब घोषित किया


Jaswant meghwal on 01-02-2022

Ghoomer nritya kiya jata h



नीचे दिए गए विषय पर सवाल जवाब के लिए टॉपिक के लिंक पर क्लिक करें Culture Current affairs International Relations Security and Defence Social Issues English Antonyms English Language English Related Words English Vocabulary Ethics and Values Geography Geography - india Geography -physical Geography-world River Gk GK in Hindi (Samanya Gyan) Hindi language History History - ancient History - medieval History - modern History-world Age Aptitude- Ratio Aptitude-hindi Aptitude-Number System Aptitude-speed and distance Aptitude-Time and works Area Art and Culture Average Decimal Geometry Interest L.C.M.and H.C.F Mixture Number systems Partnership Percentage Pipe and Tanki Profit and loss Ratio Series Simplification Time and distance Train Trigonometry Volume Work and time Biology Chemistry Science Science and Technology Chattishgarh Delhi Gujarat Haryana Jharkhand Jharkhand GK Madhya Pradesh Maharashtra Rajasthan States Uttar Pradesh Uttarakhand Bihar Computer Knowledge Economy Indian culture Physics Polity

Labels: , , , , ,
अपना सवाल पूछेंं या जवाब दें।






Register to Comment