MahaRani Victoria Bharat Ki Samagri महारानी विक्टोरिया भारत की सामग्री

महारानी विक्टोरिया भारत की सामग्री



Pradeep Chawla on 12-05-2019

विक्टोरिया का जन्म सन 24 मई 1819 ई. में हुआ था। जब वे मात्र आठ महीने की ही थीं, तभी उनके पिता का देहांत हो गया था। विक्टोरिया के मामा ने उनका पालन-पोषण किया और शिक्षा-दीक्षा का कार्य बड़ी निपुणता से संभाला। वे स्वयं भी एक बड़े योग्य और अनुभवी व्यक्ति थे। उनकी संगत में ही विक्टोरिया ने राजकाज का कार्य सम्भालना शुरू कर दिया था।



लंदन में ईस्ट इंडिया कंपनी का इतना जबरदस्त विरोध हुआ कि संसद ने 1958 में कानून बनाकर भारत की सत्ता कंपनी से लेकर अंग्रेजी सरकार ने संभाल ली. 1876 में क्वीन विक्टोरिया ने इंगलैंड के प्रधानमंत्री डिजरायली पर दवाब डाला और उसी साल ब्रिटिश पार्लियामेंट ने इसके लिए प्रस्ताव पास कर दिया. हालांकि क्वीन विक्टोरिया चाहती थीं कि उनकी पदवी ये हो—एम्प्रैस ऑफ ग्रेट ब्रिटेन, आयरलैंड एंड इंडिया. लेकिन पीएम डिजरायली लोकतांत्रिक सरकार के राज में ये पदवी देकर विवाद खड़ा करने के मूड में नहीं थे. इसलिए डिजरायली ने क्वीन विक्टोरिया को इस बात के लिए राजी किया कि वो पदवी केवल इंडिया तक सीमित रहे और बाकायदा कानून बनाकर उसे संसद में पास किया गया.



हालांकि इस बात पर क्वीन के कई करीबियों ने इस बात पर डिबेट की कि क्वीन के बजाय एम्प्रैस की पदवी दी जाए क्योंकि वो एम्परर (सम्राट) का फीमेल वर्जन था. क्वीन विक्टोरिया अपने आपको सम्राट की तरह देखना चाहतीं ना कि सम्राट की वीबी यानी क्वीन की तरह. इसके लिए विक्टोरिया ने बड़ी तैयारी की, भारत के वायसराय को आदेश दिया गया कि ब्रिटिश तौर तरीकों से वाकिफ दो भारतीयों को क्वीन की सेवा में भेजा जाए ताकि वो उन्हें भारतीय परम्पराओं और भाषा सिखा सकें. क्वीन को किसी भी भारतीय राजा महाराजा से मिलते वक्त उनके साथ रह सकें.



विवाह



विवाह होने पर वे पति को भी राजकाज से दूर ही रखती थीं। परंतु धीरे-धीरे पति के प्रेम, विद्वत्ता और चातुर्य आदि गुणों ने उन पर अपना अधिकार जमा लिया और वे पतिपरायण बनकर उनके इच्छानुसार चलने लगीं। किंतु 43 वर्ष की अवस्था में ही वे विधवा हो गईं। इस दुःख को सहते हुए भी उन्होंने 39 वर्ष तक बड़ी ईमानदारी और न्याय के साथ शासन किया। जो भार उनके कंधों पर रखा गया था, अपनी शक्ति-सामर्थ्य के अनुसार वे उसे अंत तक ढोती रहीं। किसी दूसरे की सहायता स्वीकार नहीं की।



उनमें बुद्धि-बल चाहे कम रहा हो पर चरित्रबल बहुत अधिक था। पत्नी, माँ और रानी - तीनों रूपों में उन्होंने अपना कर्तव्य अत्यंत ईमानदारी से निभाया। घर के नौकरों तक से उनका व्यवहार बड़ा सुंदर होता था। भारी वैधव्य-दुःख से दबे रहने के कारण दूसरों का दुःख उन्हें जल्दी स्पर्श कर लेता था। रेल और तार जैसे उपयोगी आविष्कार उन्हीं के काल में हुए।



राजतिलक



अठारह वर्ष की अवस्था में विक्टोरिया गद्दी पर बैठीं। वे लिखती हैं कि मंत्रियों की रोज इतनी रिपोर्टें आती हैं तथा इतने अधिक कागजों पर हस्ताक्षर करने पड़ते हैं कि मुझे बहुत श्रम करना पड़ता है। किंतु इसमें मुझे सुख मिलता है। राज्य के कामों के प्रति उनका यह भाव अंत तक बना रहा। इन कामों में वे अपना एकछत्र अधिकार मानती थीं। उनमें वे मामा और माँ तक का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं करती थी। पत्नी, माँ और रानी - तीनों रूपों में उन्होंने अपना कर्तव्य अत्यंत ईमानदारी से निभाया। घर के नौकरों तक से उनका व्यवहार बड़ा सुंदर होता था



भारत में लोकप्रियता



मात्र अठारह वर्ष की उम्र में ही विक्टोरिया राजगद्दी पर आसीन हो गई थीं। भारत का शासन प्रबन्ध 1858 ई. में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के हाथ से लेकर ब्रिटिश राजसत्ता को सौंप दिया गया।



महारानी विक्टोरिया इसकी जो उदघोषणा, महारानी के नाम से की गई, उससे वह भारतीयों में जनप्रिय हो गईं, क्योंकि ऐसा विश्वास किया जाता था कि उदघोषणाओं में जो उदार विचार व्यक्त किए गए थे, वे उनके निजी और उदार विचारों के प्रतिबिम्ब स्वरूप थे।



विक्टोरिया मेमोरियल कोलकाता के प्रसिद्ध और सुंदर स्मारकों में से एक है। इसका निर्माण 1906 और 1921 के बीच भारत में रानी विक्टोरिया के 25 वर्ष के शासन काल के पूरा होने के अवसर पर किया गया था। वर्ष 1857 में सिपाहियों की बगावत के बाद ब्रिटिश सरकार ने देश के नियंत्रण का कार्य प्रत्यक्ष रूप से ले लिया और 1876 में ब्रिटिश संसद ने विक्टोरिया को भारत की शासक घोषित किया। उनका कार्यकाल 1901 में उनकी मृत्यु के साथ समाप्त हुआ।



विक्टोरिया मेमोरियल भारत में ब्रिटिश राज की याद दिलाने वाला संभवतया सबसे भव्य भवन है। यह विशाल सफेद संगमरमर से बना संग्रहालय राजस्थान के मकराना से लाए गए संगमरमर से निर्मित है और इसमें भारत पर शासन करने वाली ब्रिटिश राजशाही की अवधि के अवशेषों का एक बड़ा संग्रह रखा गया है। संग्रहालय का विशाल गुम्बद, चार सहायक, अष्टभुजी गुम्बदनुमा छतरियों से घिरा हुआ है, इसके ऊंचे खम्भे, छतें और गुम्बददार कोने वास्तुकला की भव्यता की कहानी कहते हैं। यह मेमोरियल 338 फीट लंबे और 22 फीट चौड़े स्थान में निर्मित भवन के साथ 64 एकड़ भूमि पर बनाया गया है।



विक्टोरियन युग –



राजसिंघसन की जिम्मेदारी गंभीरता से लेकर राणी विक्टोरियाने प्रशासन की सभी छोटी-छोटी बातो पर ध्यान दिया। राणीने सुत्र हाथ में लिये तब इंग्लंड के इतिहास में राजाओं का मान था। लेकीन उनका महत्त्व कम करने वाली रक्तहीन क्रांती हुई थी। 1832 के बाद इंग्लंड का संसदीय सुधार मानदंड से संसद का संघटन और स्वरूप बदल रहा था। खुले व्यापार नीति की जोरदार हवा इंग्लंड में फ़ैल रही थी। उस वजह से 1833 के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी का व्यापार रियायत रदद् करके इंग्लिश नागरिको को व्यापार खुला कर दिया। ये बदलाव विक्टोरिया राणी के आने के बाद बहोत बढ़ गया और वो स्फुर्तिदायी रहा।

राणी निश्चित रूप से कठोर राजनीतिज्ञ थी। राणी विक्टोरिया भारतीय राज्यो की ‘महारानी’ जाहिर हुई। उन्होंने इसका घोषणापत्र अपने नाम पर प्रसारित किया। ये घोषणापत्र आगे भारत में के ब्रिटिश राज का स्तंभ बना।



आफ्रिका खंड के इजिप्त, सुदान, नाताल, दक्षिण आफ्रिका आदी। महत्वपूर्ण प्रांत उनके साम्राज्य के नीचे आये थे। इंग्लंड ने पूर्व आशिया में भी अपना प्रभाव बढ़ा दिया। उन्नीसवी सदी के आखिर में इस वैभव का कलश माना गया तो उसका नेतृत्त्व राणी विक्टोरिया की तरफ जाता है।

23 जनवरी 1901 को विक्टोरिया राणी का देहांत हुवा। एक महान युग का अंत हुवा।




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Comments Suraj chauhan on 22-10-2023

India country is agriment 99

Milan on 13-10-2023

Maharani Victoria ko kis varsh bharat samagri diya gaya

Amit kumar on 20-10-2021

Maharani victoria ko bharat ki samagri kab ghosit kiya gaya






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