Kis PradhanMantri Dwara Prastut Vishwaas Prastav Par Ab Tak Ki Sabse Lambi Bahas Loksabha Me Chali - किस प्रधानमंत्री द्वारा प्रस्तुत विश्वास प्रस्ताव पर अब तक की सबसे लम्बी बहस लोकसभा में चली -

किस प्रधानमंत्री द्वारा प्रस्तुत विश्वास प्रस्ताव पर अब तक की सबसे लम्बी बहस लोकसभा में चली -



GkExams on 14-03-2023


सही उत्तर : अटल बिहारी वाजपेयी


व्याख्या :


भारत के संसदीय इतिहास में पहली बार विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को सफलता 1978 में मिली। आपातकाल के बाद हुए चुनाव में जनता पार्टी को बहुमत मिला और मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने। मोरारजी देसाई सरकार के कार्यकाल के दौरान उनके खिलाफ दो बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया। पहले प्रस्ताव से उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई, लेकिन 1978 में दूसरी बार लाए गए अविश्वास प्रस्ताव में उनकी सरकार के घटक दलों में आपसी मतभेद थे। अपनी हार का अंदाजा लगते ही मोरारजी देसाई ने मत-विभाजन से पहले ही इस्तीफा दे दिया।


जानकारी रहे की अब तक इतिहास में 27 बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। लोकसभा सचिवालय के आंकड़े के अनुसार 27 अविश्वास प्रस्तावों में से 15 इंदिरा गांधी के खिलाफ उनके पीएम रहते हुए लाए गए। वहीं लाल बहादुर शास्त्री के खिलाफ तीन अविश्वास प्रस्ताव, पी वी नरसिंह राव के खिलाफ तीन, मोरारजी देसाई के खिलाफ दो और राजीव गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी के खिलाफ एक एक प्रस्ताव लाये गए थे।


विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव :




सर्वप्रथम तो आप ये ध्यान में रखे की विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव को लाने का कार्य विपक्ष का होता है। यहाँ विपक्ष का मतलब है की जो मौजूद सरकार के विरोध में होता है।


ऐसे में सत्तापक्ष अपनी सरकार बने रहने के लिए अविश्वास प्रस्ताव (how to call for a vote of no confidence) का गिरना यानी नामंजूर करने की कोशिश करता है। स्पीकर अगर अविश्वास प्रस्ताव मंजूर कर लेता और सत्तापक्ष सदन में बहुमत साबित करने में सफल नहीं रहता है तो सरकार गिर जाती है। ऐसे ही किसी विधेयक के मामले में भी होता है।


वैसे किसी भी सरकार को सत्ताल में बने रहने के लिए लोकसभा या विधानसभा में बहुमत और विश्वासमत की जरूरत होती है। विपक्षी दल अविश्वा स प्रस्ताभव यह बताने के लिए लाते हैं कि सत्तााधारी दल के पास सदन में बहुमत नहीं है।


विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव :




जैसा की आपने ऊपर अविश्वास प्रस्ताव के बारें में पढ़ा इसके उल्ट विश्वास प्रस्ताव होता है इसमें विश्वास प्रस्ताव लाने का काम सत्ता पक्ष करता है। क्योंकि सरकार के बने रहने के लिए विश्वास प्रस्ताव का पारित होना मतलब मंजूर होना जरूरी है।


अगर सरकार विश्वा स मत हार जाती है तो आमतौर पर दो स्थितियां बनती हैं...


1. सरकार इस्तीफा देती है और दूसरी पार्टी या गठबंधन सरकार बनाने का दावा करती है।


2. सदन को रद कर चुनाव भी कराए जा सकते हैं।


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