Japan Ka Matsya Udyog जापान का मत्स्य उद्योग

जापान का मत्स्य उद्योग



Pradeep Chawla on 18-10-2018


जापानी लोगों को मछलियाँ पसंद होती हैं | खाने में लगभग हमेशा मछली होती है | और वो भी ताज़ा मछली, उसका स्वाद ज्यादा अच्छा होता है ऐसा माना जाता है | समस्या ये है की जापान द्वीप है और उसके आस पास से लगातार मछलियाँ पकड़ने के कारण आस पास के इलाके में तेज़ी से खाने लायक मछलियाँ कम होने लगी | जापानी मछुआरे थोड़ी दूर तक जा कर मछली पकड़ने लगे | थोड़े ही समय में इससे भी काम नहीं चल पाया, ज्यादा दूर के इलाके में मछलियाँ कम हो गईं |
अब मछुआरों ने बड़ी नावें इस्तेमाल करना शुरू कर दिया | उस से ज्यादा दूर जा पाते थे और लौटते वक़्त नाव में मछली भी ज्यादा अंट जाती थीं | लेकिन अब वापसी में समय ज्यादा लगता था और मछलियाँ ताज़ा नहीं रह पाती थीं | इस से निपटने के लिए नाव में बर्फ़ रखा जाने लगा | मछलियों को पकड़ कर बर्फ़ में जमा दिया जाता था | लेकिन इस तरीके से ताज़ा मछली नहीं आ पाती थी | समय के बदलने के साथ फ्रीजर लगाये जाने लगे इस से नाव और ज्यादा समय तक समुन्दर में रह पाती और ज्यादा मछलियाँ ले कर वापिस आ पाती |


लेकिन इस तरीके से भी ताज़ा मछली तो आती नहीं थी, और जापानी लोग ताज़ा मछली और बासी के स्वाद, रंग रूप में आसानी से फ़र्क कर लेते थे | तो मछली पकड़ने वालों ने एक तीसरा तरीका ढूँढा | वो पानी के टैंक में ढेर सारी मछलियाँ डाल देते पकड़ कर और वापसी के पूरे रास्ते उसके पानी को डंडों से हिला डुला कर मछलियों को जिन्दा रखने की कोशिश करते | समस्या ये थी की टैंक में ढेर सी मछलियाँ होती थीं, ज्यादा जगह भी नहीं होती थी और सारी मछलियाँ सांस भी नहीं ले पाती थी उतने पानी में | जबरन तैराने की कोशिश का ज्यादा फायदा नहीं होता था, मछलियाँ ज्यादातर मर ही जाती थीं | जापान के मत्स्य उद्योग को खतरा पैदा हो गया | प्रयाप्त मांग होने के वाबजूद व्यापारी मांग की आपूर्ति नहीं कर पा रहे थे |
लेकिन आज देखें तो जापान की मछली बेचने का व्यवसाय ख़त्म नहीं हुआ है | तो आखिर क्या “जुगाड़” भिड़ाया उन्होंने ? तो मछलियों को लाने के लिए मछली पकड़ने वाली कंपनियां अभी भी उन्हें एक टैंक में पानी में डाल के ही लाते है | मगर मछलियों के साथ वो एक छोटी शार्क भी छोड़ देते हैं | शार्क से खुद को बचाना मछलियों के लिए एक challenge होता है, तो पूरे टाइम वो इधर उधर खुद ही भागने की कोशिश करती हैं और इस तरह जिन्दा मछली किनारे तक आ जाती है |
इंसानों के साथ भी ऐसा ही है, एक ही नौकरी, एक ही ढर्रे पे चलती जिन्दगी से लोग अक्सर उब जाते हैं और उनकी जिन्दगी में भी ताजगी नहीं रह जाती | तो कोई न कोई challenge अपने सामने ही कहीं आस पास रखना चाहिए | जीवन में नवीनता बनी रहनी चाहिए |


वैसे ताजी मछलियों से याद आया की लालू यादव को भी “ताजी मछलियाँ” पसंद हैं | जब वो जेल में थे तो उन्हें रोज़ एक अन्नपूर्णा ताजी मछली पहुँचाया करती थी | जी हाँ हर रोज़ | वो भी बेचारी चुनाव हार गयी हैं | पुराने जनता दल वाले सारे नेता भी एक ही टैंक में हैं आजकल, और किसी ने सेकुलरिज्म के टैंक मे शाह नाम का शार्क छोड़ दिया है | ताजी मछलियों को ध्यान रखना चाहिए की शार्क की करीब 370 अलग अलग प्रजातियाँ होती हैं | कोई टैंक में न आ घुसे !!




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Comments Priya on 15-12-2023

Japan ke matsya udyog ka vardan

Sandeep raj on 27-02-2023

Japan ka mtshya

Poonam on 13-05-2022

Japan me fish kaha kha pai jati he


Neetu on 27-11-2021

Japan ke rup rang ,pawnawa, bhasha sanskriti dhram

Pramod on 28-04-2021

Pashim Asia me petroleum utpadan





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