Kosi Nadi Ko Bihar Ka Shok Kyon Kahaa Jata Hai कोसी नदी को बिहार का शोक क्यों कहा जाता है

कोसी नदी को बिहार का शोक क्यों कहा जाता है



GkExams on 12-05-2019

कहते हैं नदियों से जल है और जल से जीवन... लेकिन जब ये जीवन देने वाली नदियां और इनका जल ही इंसान के लिए काल साबित होने लगे तो इनको जीवन कहना बेमानी हो जाता है। देश का एक राज्य ऎसा है जहां सदियों से दो नदियों का कहर जारी है, हर वर्ष बारिश के मौसम में कई जिन्दगियां इनकी तेज धाराओं के साथ बह कर काल के कपाल में समाहित हो जाती हैं। बिहार सदियों से सिर्फ इन्हीं दो नदियों की वजह से उजड़ता है... बिखरता है... डूबता है... और फिर उभरता है... फिर दिलों में उम्मीदे जागती हैं... एक नई जिन्दगी की शुरूआत की... बाढ़ का पानी उतरते ही फिर से यहां के बाशिंदों में जिन्दगी जीने की जद्दोजहद शुरू हो जाती है... फिर से एक नया आशियाना बनता है... लेकिन दूसरी तरफ एक खौफ दिलों में बना रहता है... कि अगले वर्ष फि र से आएगा वो कहर जिसने हमको अभी तबाह किया है... सदियों से चला आ रहा नदियों का वो कहर आज भी जारी है... अंग्रेजों की सरकार को लेकर मोदी की सरकार तक सब के सामने ये नदियां चुनौती बनी रहीं, कि आखिर कैसे रोका जाए इनके इस कहर को, कई उपाए भी हुए लेकिन सब बेकार रहे... नेपाल से चल कर एक बार

फिर पानी की शक्ल में आफात आ रही है बिहार चल कर... बिहार के आठ जिलों पर भीषण बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है । सरक ार भी परेशान हैं... हाई आलर्ट जारी कर दिया है... सेना से मदद मांगी गई है। अन्य तैयारियां भी कर ली गई हैं। लोग भी अपने घरों को छोड़कर भागने लगे हैं... जिन्दगी जो बचानी है... जिन्दगी रही तो फि र उम्मीद जागेगी जीने की । लगभग 16,000 लोगों को संभावित बाढ़ क्षेत्र से हटाया जा चुका है। बिहार आपदा प्रबंधन विभाग ने 84 राहत शिविर तैयार करवाए हैं जिनकी संख्या बाद में जरूरत पड़ने पर बढ़ाई जाएगी। हम बात कर रहे हैं बिहार की ऎसी दो नदियों की जो हमेशा से ही यहां के लिए काल साबित होती रहीं। पहली कोसी और दूसरी है कर्मनाशा... कोसी का कहर अब भी जारी है... क र्मनाशा बिहार का बहुत कुछ विनाश करके कुछ खामोश हो गई है... कोसी के कहर को हिन्दी भाषा के साहित्यकार फणीश्वरनाथ रेणु ने अपने रिपोर्ताज में बखूबी वयां किया है। और कर्मनाशा के नाश को हिन्दी भाषा के कथाकार शिवप्रसाद सिंह ने अपनी कहानी कर्मनाशा की हार के जरिए दिखाया है कर्मनाशा नदी कर्म नाशा नदी का उद्गम कैमूर जिला के अधौरा की पहाड़ी से हुआ है। ये नदी यहां से निकल कर बिहार के बक्सर के पास गंगा में विलीन हो जाती है । इसकी उत्पत्ति के बारे में पौराणिक आख्यानों में बताया गया है महादानी हरिश्चन्द्र के पिता व सूर्यवंशी राजा त्रिवंधन के पुत्र सत्यव्रत, जो त्रिशंकु के रूप में विख्यात हुए उन्हीं के लार से यह नदी अवतरित हुयी है। जाने कोसी नदी के बारे में कोसी नदी नेपाल में हिमालय से निकलती है, और बिहार में भीम नगर के रास्ते भारत में दाखिल होती है। इसकी बाढ़ से बिहार में भीषण तबाही होती है, इस लिए कोसी को बिहार का शोक या अभिशाप भी कहा जाता है। हिन्दू ग्रंथों में इसे कौशिकी नदी के नाम से बताया गया है। पौराणिक मान्यता है कि विश्वामित्र को इसी नदी के किनारे ऋ षि का दर्जा मिला था । वे कुशिक ऋ षि के शिष्य थे और उन्हें ऋ ग्वेद में कौशिक भी कहा गया है। सात धाराओं से मिलकर सप्तकोशी नदी बनती है जिसे स्थानीय रूप से कोसी कहा जाता है। महाभारत में भी इसका जिक्र कौशिकी नाम से मिलता है। इसका भौगोलिक स्वरूप पिछले 250 वषों में 120 किमी का विस्तार कर चुका है। हिमालय की ऊँची पहाडियों से तरह- तरह के अवसाद (बालू, कंकड़-पत्थर) अपने साथ लाती हुई ये नदी निरंतर अपने क्षेत्र फैलाती जा रही है। नेपाल और भारत दोनों ही देश इस नदी पर बाँध बना रहे हैं परन्तु पर्यावरणविदों की मानें तो ऎसा करना नुकसानदेह हो सकता है। कोसी नदी पर बांध बनाने का काम ब्रिटिश शासन के समय से विचाराधीन है आखिर क्या वजह है बांध टूटने और बनने की ब्रिटिश सरकार को ये चिन्ता थी कि कोसी नदी पर तटबन्ध बनाने से इसके प्राकृतिक बहाव के कारण यह टूट भी सकता है । इसी लिए सरकार ने तटबंध नहीं बनाने का फैसला किया इसके पीछे वजह थी कि अगर तटबंध टूट गया तो जो क्षति होगी उसकी भरपाई करना ज्यादा मुश्किल साबित होगा इसी बीच ब्रिटिश सरकार चली गई, और आजादी के बाद सन् 1954 में भारत सरकार ने नेपाल के साथ समझौता किया और बाँध बनाया गया। यह बाँध नेपाल की सीमा में बना और इसके रखरखाव का काम भारतीय अभियंताओं को सौंपा गया । इसके बाद ये बांध अबतक सात बार टूट चुका है और नदी की धारा की दिशा में छोटे-मोटे बदलाव होते रहे हैं। बराज में बालू के निक्षेपण के कारण जलस्तर बढ़ जाता है और बाँध के टूटने का खतरा बना रहता है । बाँध बनाते समय अभियंताओं का मानना था कि यह नौ लाख घनफुट प्रतिसेकेंड (क्यूसेक) पानी के बहाव को झेलने की क्षमता रखता है और बाँध की आयु 25 वर्ष है। बाँध पहली बार 1963 में टूटा था । इसके बाद 1968 में यह 5 जगहों पर टूटा । उस समय नदी में पानी का बहाव 9 लाख 13 हजार क्यूसेक था । वर्ष 1991 में नेपाल के जोगनिया तथा 2008 में यह नेपाल के ही कुसहा में बांध टूटा । वर्ष 2008 में जब यह टूटा तो इसमें बहाव महज 1 लाख 44 हजार क्यूसेक था ।




सम्बन्धित प्रश्न



Comments भरत सिंह on 26-11-2023

बिहार के शोक नदी किसे कहा जाता है

Priyanka Chopra on 11-09-2023

Kosi ko Bihar ka shok Nadi kyon kaha jata hai

Ankit kumar on 16-09-2022

Bihar ka shok kosi nadi ko kyo kaha jata hai


Sakshi Sinha on 08-03-2022

Koshi

Radheshyam on 19-12-2021

Kosi nadi ko bihar ka shok kyo kaha jata hai

Shivraj Meena on 03-08-2021

Kosi Nadi ko Bihar ka shok Kyon Kaha jata hai





नीचे दिए गए विषय पर सवाल जवाब के लिए टॉपिक के लिंक पर क्लिक करें Culture Current affairs International Relations Security and Defence Social Issues English Antonyms English Language English Related Words English Vocabulary Ethics and Values Geography Geography - india Geography -physical Geography-world River Gk GK in Hindi (Samanya Gyan) Hindi language History History - ancient History - medieval History - modern History-world Age Aptitude- Ratio Aptitude-hindi Aptitude-Number System Aptitude-speed and distance Aptitude-Time and works Area Art and Culture Average Decimal Geometry Interest L.C.M.and H.C.F Mixture Number systems Partnership Percentage Pipe and Tanki Profit and loss Ratio Series Simplification Time and distance Train Trigonometry Volume Work and time Biology Chemistry Science Science and Technology Chattishgarh Delhi Gujarat Haryana Jharkhand Jharkhand GK Madhya Pradesh Maharashtra Rajasthan States Uttar Pradesh Uttarakhand Bihar Computer Knowledge Economy Indian culture Physics Polity

Labels: , , , , ,
अपना सवाल पूछेंं या जवाब दें।






Register to Comment