Satnami History In Hindi सतनामी हिस्ट्री इन हिंदी

सतनामी हिस्ट्री इन हिंदी



GkExams on 03-10-2022


सतनामी सम्प्रदाय के बारें में : सतनामी संप्रदाय की स्थापना "बीरभान" नामक एक संत ने नारनौल में वर्ष 1657 में की थी। आपको बता दे की सत्य एवं ईश्वर में विश्वास रखने के कारण वे अपने को सतनामी (satnam waheguru in punjabi) पुकारते थे।


इसके अलावा सतनामियों को "एकेश्वरवादी संप्रदाय" कहा गया है। इनके धार्मिक ग्रंथ को "पोथी" कहा जाता था। और इन लोगों की विशेषताओं की बात करें तो सतनामी अपने संपूर्ण शरीर के बालों को मूँड़कर रखते थे। इसी कारण उन्हें "मुंडिया" भी कहा जाता था।


सतनामी हिस्ट्री इन हिंदी :




इतिहास में नारनौल में सतनामी शब्द मुगल कालीन भारत के क्षितिज पर औरंगजेब के विरुद्ध “सतनामी विद्रोह”के रूप में लिखा मिलता है। सन 1672 ई. में औरंगजेब के विरुद्ध जाटों, तथा सतनामीयों का भयंकर विद्रोह हुआ था।


इतिहास में लिखा है कि सतनामी (satnam waheguru meaning) तांत्रिक थे वे युद्ध में अपनी इस तंत्र विद्या का प्रयोग करते थे, जिसके प्रभाव से युद्ध में उनके शरीर पर तलवार, भाले, तीर आदि का कोई असर नहीं होता था। यहां तक कि तोप के गोले भी उन्हें घायल नहीं कर सकते थे। इस अफवाह से शाही फौज घबराकर युद्ध से पहले ही भयभीत हो जाती थी।


आमने-सामने होते ही शाही सिपाही घबराकर डर जाते और बड़े आसानी से परास्त तो हो जाते थे। सन 1672 ई. में औरंगजेब के साथ इस शाखा के सतनामीयों का भयंकर युद्ध हुआ था। इसमें औरंगजेब की सेना का 3 बार हार हुई थी। जब औरंगजेब को अपनी सेना की हार का पता चला, तो उन्होंने अपनी सेना के मनोबल को बढ़ाने एवं उनके भय को दूर करने के लिए तथा कौमी कट्टरता को कायम करने हेतु अपने प्रत्येक सिपाही के झंडे में कुरान कलाम व फातिहा लिखा।


और इतना ही नहीं वह स्वयं युद्ध का संचालन किया। इस भयावह युद्ध में सतनामीयों की हार हुई। कहा जाता है कि इस युद्ध में 20000 लोग मारे गए। इतिहास में लिखा हुआ है कि (satnam satnam satnam ji) तीन बार के युद्ध में परास्त होने के बाद औरंगजेब को इतनी बौखलाहट थी की चौथी युद्ध को जीतते हि सतनामीयों के विरुद्ध कत्लेआम का आदेश जारी कर दिया। इतिहास साक्षी है कि कत्लेआम के आदेश के बाद रात्रि का लाभ उठाकर सतनामी जन उस क्षेत्र से पलायन कर गए और उस क्षेत्र में एक भी सतनामी नहीं बचा।


और इसके बाद छत्तीसगढ़ में बाबा गुरू घासीदास जी सतनाम (satnam waheguru quotes) के प्रवर्तक हुए और उनके अनुयायी सतनामी कहलाए। इनके उपदेशों और कार्यों से प्रभावित हो (छत्तीसगढ़) के विभिन्न जाति धर्म के लोग अनुयायी हुए, जिन्हें सतनामी जाति के रूप में माना गया है।


Pradeep Chawla on 14-10-2018


Check link below -

http://www.aboutchhattisgarh.com/satnami-samaj/



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Comments Sanjay on 14-08-2023

Kati bataiye

Sahil chelak on 16-03-2023

Satnami ki utpatti kaise huyi

Kamlesh dhritlahare on 12-12-2022

Aaj ke jamane me dalit upar itna atyachar kyo ho raha hei


Badal on 13-09-2021

Satnami k utpatti kaise hua

Chanda on 23-07-2020

Chanda gotra kis samaj me aata hai





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