Jaivik Khad Ke Prakar जैविक खाद के प्रकार

जैविक खाद के प्रकार



GkExams on 12-05-2019

जैव उर्वरकों के प्रकार ==
राइजोबियम कल्चर- यह एक नम चारकोल व जीवाणु का मिश्रण है जिसके प्रति एक-एक भाग में 10 करोड़ से अधिक राइजोबियम जीवाणु होते हैं । यह खाद केवल दलहनी फसलों में दिया जाता है । रोइजोबियम खाद में बीज उपचार करने पर यह बीज के साथ चिपक जाता है । बीज अंकुरण पर यह जीवाणु जड़ की मूल रोम द्वारा पौधों की जड़ों में प्रवेश कर जड़ों पर ग्रंथियों का निर्माण करते हैं । पौधों की जड़ों से अधिक ग्रंथियों के होने पर फसल की पैदावार बढ़ती है । इसके प्रयोग से 10-15 कि.ग्रा. नाइट्रोजन की बचत होती है तथा फसल उपज में 10-15 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी पायी गयी है । अलग-अलग दलहनी फसल के लिए अलग-अलग राइजोबियम कल्चर बाजार में उपलब्ध होते हैं ।
एजेटोबैक्टर- यह जीवाणु पौधों की जड़ क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से रहने वाले जीवाणुओं का एक नम चूर्ण रूप उत्पाद है, जो वायुमंडल की नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करके पौधों को उपलब्ध कराते हैं । इसके एक ग्राम में लगभग 10 करोड़ जीवाणु होते हैं । यह जीवाणु खाद दलहनी फसल को छोड़कर सभी फसलों में उपयोग की जा सकती है । इसके प्रयोग से 20-30 कि.ग्रा. नाइट्रोजन की बचत होती है तथा 10-15 प्रतिशत फसल उत्पादन में वृद्धि होती है ।
जीवाणु फसल जिसमें प्रयोग होते हैं
रोइजोबियम (सहजीवी) - सभी दलहनी फसलों के लिए लेकिन प्रत्येक फसल के लिए अलग-अलग
मात्रा : एक पैकेट (200 ग्राम) प्रति एकड़ बीज उपचारित करने के लिए ।
एजोटोबेक्टर (स्वतंत्र जीवी) - गेहूं, बाजरा, जौ, कपास, आलू, गोभी, प्याज, टमाटर, बैंगन, भिंडी, सरसों आदि ।
मात्रा : एक पैकेट (200 ग्राम) प्रति एकड़ उपचारित करने के लिए ।
एजोस्पिरिलम (सहबंधी) - अनाज वाली फसलें, ज्वार, बाजरा, गेहूं, जौ, मक्का, गन्ना आदि ।
मात्रा : एक पैकेट (200 ग्राम) प्रति एकड़ उपचारित करने के लिए ।
नील हरित शैवाल - धान की फसल ।
मात्रा : 10 कि.ग्रा. प्रति हैक्टर पानी भरे खेत में छिड़काव के लिए ।
माइकोराइजा - पौधशाला में तैयार होने वाली, बागवानी, फूल वाली फसलों के साथ गन्ना तथा अन्य सभी
फसलों के लिए ।
मात्रा : 10-12 कि.ग्रा. प्रति हैक्टर ।
माइब्रफोपफास - सभी फसलों के लिए ।
मात्रा : एक पैकेट (200 ग्राम) प्रति एकड़ बीज उपचारित करने के लिए ।
नील हरित शैवाल- ये शैवाल मिट्टी के सदृश्य सूखी पपड़ी के टुकड़ों के रूप में होते हैं । यह धान की फसल के लिए जिनमें कि पानी भरा रहता है लाभकारी है । ये सूक्ष्म जीवाणु 20-30 कि.ग्रा. नाइट्रोजन (पोषक तत्वों के रूप में) प्रति हैक्टर उपलब्ध कराने में तथा 10-15 प्रतिशत फसल की पैदावार बढ़ाने में सक्षम होते हैं । इनके प्रयोग से लगभग 30 प्रतिशत तक रसायनिक उर्वरकों की बचत की जा सकती है ।
फासफेडिका कल्चर- फासफेडिका जीवाणु खाद, स्वतंत्र जीवाणुओं का एक नम चूर्ण रूप में उत्पाद है । जब हम खेत में उपरोक्त कल्चर का प्रयोग करते हैं तो जमीन में पड़े हुए अघुलनशील फास्फोरस जीवाणुओं द्वारा घुलनशील अवस्था में बदल दिया जाता है तथा इसका प्रयोग सभी फसलों में किया जाता है । फासफेडिका कल्चर के प्रयोग से फसलों में 10-12 प्रतिशत उत्पादन में वृद्धि पायी गयी है । इसके प्रयोग करने से 20-25 कि.ग्रा. फास्फोरस प्रति है कि बचत संभव है । जड़ों का विकास अधिक होता है जिससे पौधा स्वस्थ होता है ।
एजोस्पाइरिलम कल्चर- यह जीवाणु खाद मृदा में पौधों के जड़ क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से रहने वाले जीवाणुओं का एक नमचूर्ण उत्पाद है । जो वायुमंडल की नाइट्रोजन का स्थिरीकरण कर पौधों को उपलब्ध कराते हैं । यह जीवाण खाद खरीफ के मौसम में धान, मोटे अनाज तथा गन्ने की फसल के लिए विशेष उपयोगी है । इसके प्रयोग से फसलोत्पादन में 10-12 प्रतिशत वृद्धि होती है तथा 15-20 कि.ग्रा. प्रति हैक्टर नाइट्रोजन की बचत होती है ।
जैविक व हरी खादों में औसत पोषक तत्व प्रतिशत
जैविक खाद पोषक तत्व (प्रतिशत)
नाइट्रोजन फास्फोरस पोटाश
फार्मयार्ड खाद 0.80 0.41 0.74
कम्पोस्ट खाद 1.24 1.92 1.07
वर्मी कम्पोस्ट 1.60 2.20 0.67
धान पुआल की खाद 1.59 1.34 1.37
गेहूं भूसा की खाद 2.90 2.05 0.90
जलकुंभी 2.0 1.0 2.30
अमर कान्त
लेखक एक उन्नत शील किसान हैं




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