Raman Prabhav Ki Paribhasha रमन प्रभाव की परिभाषा

रमन प्रभाव की परिभाषा



GkExams on 17-12-2018


रमण प्रकीर्णन या रमण प्रभाव फोटोन कणों के लचीले वितरण के बारे में है। इसकी खोज प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक श्री सी वी रमन ने की थी। रमन प्रभाव के अनुसार, जब कोई एकवर्णी प्रकाश द्रवों और ठोसों से होकर गुजरता है तो उसमें आपतित प्रकाश के साथ अत्यल्प तीव्रता का कुछ अन्य वर्णों का प्रकाश देखने में आता है। 1930 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार चन्द्रशेखर वेंकटरमन को उनके इस खोज के लिए प्रदान किया गया था।


रमन की पूरी शिक्षा-दीक्षा भारत में ही हुई। स्वयं 200 रु. का स्पेक्ट्रममापी अभिकल्पित कर, केवल लगन, परिश्रम और एकनिष्ठ अनुसंधन के बल पर इतनी महत्वपूर्ण खोज कर सके। शुरू में रमन ने सूर्य के प्रकाश को बैंगनी फिल्टर से गुजार कर प्राप्त बैंगनी प्रकाश किरण पुन्ज को द्रव से गुजारा। निर्गत प्रकाश पुंज मुख्यतः तो बैंगनी रंग का ही था, परन्तु इसे हरे फिल्टर से गुजारने पर इसमें बहुत कम परिमाण में हरी किरणों का अस्तित्व भी देखने में आया। रमन प्रभाव रासायनिक यौगिकों की आंतरिक संरचना समझने के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह प्रभाव वैज्ञानिकों के लिए काफी महत्वपूर्ण खोज है। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के दिन भारत के विभिन्न क्षेत्रों में विज्ञान के गतिविधियों कों बढ़ावा देने वाले कार्यकमो का आयोजन किया जाता है।


60 से ज्यादा विभिन्न द्रवों पर प्रयोग दोहराने के बाद यह सुनिश्चित हो गया कि सभी द्रव रमन स्पेक्ट्रम दर्शाते हैं। द्रव बदलने से केवल उससे प्रकीर्णित स्पेक्ट्रमी रेखा का रंग बदलता है। अभी तक के प्रयोगों में सिर्फ देखकर प्रभाव की पुष्टि की जा रही थी। किन्तु रमन जानते थे कि जब तक रमन-रेखाओं की तरंगदैर्ध्यों और उनकी आपेक्षिक तीव्रता का मापन नहीं किया जाएगा तब तक न तो प्रभाव की संतोषजनक व्याख्या की जा सकेगी और न ही वैज्ञानिक जगत में मान्यता प्राप्त होगी। इसके लिए उन्होंने एक क्वार्टज स्पेक्ट्रोग्राफ का उपयोग किया, जिसके परिमाणात्मक परिणाम मार्च 31, 1928 के इन्डियन जर्नल ऑफ फिजिक्स में प्रकाशित हुए।


यह एक अद्भुत प्रभाव है, इसकी खोज के एक दशक बाद ही 2000 रासायनिक यौगिकों की आंतरिक संरचना निश्चित की गई थी। इसके पश्चात् ही क्रिस्टल की आंतरिक रचना का भी पता लगाया गया। रमन प्रभाव के अनुसार प्रकाश की प्रकृति और स्वभाव में तब परिवर्तन होता है जब वह किसी पारदर्शी माध्यम से निकलता है। यह माध्यम ठोस, द्रव और गैसीय, कुछ भी हो सकता है। यह घटना तब घटती है, जब माध्यम के अणु प्रकाश ऊर्जा के कणों को प्रकीर्णित कर देते हैं। यह उसी तरह होता है जैसे कैरम बोर्ड पर स्ट्राइकर गोटियों को छितरा देता है। फोटोन की ऊर्जा या प्रकाश की प्रकृति में होने वाले अतिसूक्ष्म परिवर्तनों से माध्यम की आंतरिक अणु संरचना का पता लगाया जा सकता है।




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Comments Govind on 25-09-2020

Dristi dos

Vikram meena on 17-02-2020

Raman parbav ki paribhasa





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