Cyclotron Kya Hai साइक्लोट्रॉन क्या है

साइक्लोट्रॉन क्या है



Pradeep Chawla on 12-05-2019

साइक्लोट्रॉन (Cyclotron) एक प्रकार का कण त्वरक

है। 1932 ई. में प्रोफेसर ई. ओ. लारेंस (Prof. E.O. Lowrence) ने वर्कले

इंस्टिट्यूट, कैलिफोर्निया, में सर्वप्रथम साइक्लोट्रॉन (Cyclotron) का

आविष्कार किया। वर्तमान समय में तत्वांतरण (transmutation) तकनीक के लिए यह

सबसे प्रबल उपकरण है। साइक्लोट्रॉन के आविष्कार के लिए प्रोफेसर लारेंस को

1939 ई. में "नोबेल पुरस्कार" प्रदान किया गया।









अनुक्रम



  • 1इतिहास
  • 2उपयोगिता
  • 3कार्यसिद्धान्त
  • 4सन्दर्भ
  • 5इन्हें भी देखें
  • 6बाहरी कड़ियाँ






इतिहास

साइक्लोट्रॉन के आविष्कारक के पूर्व, आवेशित कणों के त्वरण

(acceleration) के लिए काकक्रॉफ्ट वाल्टन की विभवगुणक (वोल्टेज

मल्टिप्लायर) मशीन, वान डे ग्राफ स्थिर विद्युत जनित्र, अनुरेख त्वरक

(Linear accelerator) आदि उपकरण प्रयुक्त होते थे। परंतु इन सभी उपकरणों के

उपयोग में कुछ न कुछ प्रायोगिक कठिनाइयाँ विद्यमान थीं। उदाहरणस्वरूप,

अनुरेख त्वरक के उपयोग में निम्न दो असुविधाएँ थीं;



  • (1) असुविधाजनक लंबाई (जितना ही छोटा कण होगा एवं जितने ही अधिक ऊर्जा

    के कण प्राप्त करना चाहेंगे, उतनी ही अधिक लंबाई की आवश्यकता होगी) तथा
  • (2) आयनित धारा की अल्प तीव्रता। इस तरह की असुविधाओं को प्रोफेसर लारेंस ने साइक्लोट्रॉन के आविष्कार से दूर कर दिया।


उपयोगिता

साइक्लोट्रॉन

की उपयोगिताएँ इतनी अधिक है कि उन सबको यहाँ उद्धृत करना संभव नहीं। फिर

भी मुख्य उपयोगिताएँ यहाँ पर दी जा रही हैं। उच्च ऊर्जा के ड्यूट्रॉन,

प्रोट्रॉन, ऐल्फ़ा कण एवं न्यूट्रॉन की प्राप्ति के लिए यह एक प्रबल साधन

है। ये ही उच्च ऊर्जा कण नाभिकीय तत्वांतरण क्रिया के लिए उपयोग में लाए

जाते हैं। उदाहरण स्वरूप साइक्लोट्रॉन से प्राप्त उच्च ऊर्जा के ड्यूट्रॉन

बेरिलियम (4Be2) टार्गेट की ओर फेंके जाते हैं जिससे बोरॉन (5B10) नाभिकों

एवं न्यूट्रॉनों का निर्माण होता है और साथ ही ऊर्जा (Q) भी प्राप्त होती

है। संपूर्ण प्रक्रिया को निम्न रूप से प्रदर्शित कर सकते हैं:



नाभिकीय तत्वांतरण के अध्ययन के शैक्षिक महत्व के अतिरिक्त यह रेडियो

सोडियम, रेडियो फॉस्फोरस, रेडियो आयरन एवं अन्य रेडियोऐक्टिव तत्वों के

व्यापारिक निर्माण के लिए उपयोग में लाया गया है। रेडियोऐक्टिव तत्वों की

प्राप्ति ने शोधकार्य में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया है। हर

रेडियोऐक्टिव तत्व चिकित्सा, विज्ञान, इंजीनियरी, टेक्नॉलोजी आदि के

क्षेत्रों में नए-नए अनुसंधानों को जन्म दे रहा है। ये अनुसंधान निश्चय ही

"परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग" के ही अंश हैं।



कार्यसिद्धान्त











साइक्लोट्रॉन के कार्य करने का सिद्धान्त








साइक्लोट्रोन उच्च आवृत्ति के प्रत्यावर्ती विभवांतर

का प्रयोग करके आवेशित कण पुंज को त्वरित करता है। ये आवेशित कण एक

वैक्यूम चैम्बर के अंदर "डीज़" नामक दो खोखले "डी" आकार वाले शीट धातु

इलेक्ट्रोड के बीच लागू होता है। उनके बीच एक संकीर्ण अंतराल के साथ एक

दुसरे के सामने रखा जाता है, जो कणों को स्थानांतरित करने के लिए उनके भीतर

एक बेलनाकार जगह बनाते हैं। कणों को इस जगह के केंद्र में छोड़ दिया जाता

है। यह डीज़ एक बड़े विद्युत चुम्बक के छड़ों के बीच स्थित होते हैं जो इलेक्ट्रोड के समधरातल के लिए स्थैतिक चुम्बकीय क्षेत्र बी लूप को लागू करता है। चुंबकीय क्षेत्र, कण के पथ को झुका देता है, क्योंकि कारण लॉरेंज बल गति की दिशा में लंबवत होता है।




सम्बन्धित प्रश्न



Comments Roshni verma on 30-05-2020

Whos searchar is cyclotron





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