Himalaya Parvat Ki Utpatti हिमालय पर्वत की उत्पत्ति

हिमालय पर्वत की उत्पत्ति



GkExams on 23-11-2018



हिमालय पूर्व पश्चिम दिशा में विस्तृत दुनिया की सबसे लंबी पर्वत श्रेणी है।


हिमालय


चुकुंग री की ओर ऊपर जाते समय, ल्होत्से पर्वत चोटी का दृश्य.

एंडीज – उत्तर दक्षिण में (दक्षिण अमेरिका)
रॉकी – उत्तर दक्षिण में (उत्तर अमेरिका)
ग्रेट डिवाइडिंग रेंज- उत्तर दक्षिण में (ऑस्ट्रेलिया)
यूराल – उत्तर दक्षिण में (रूस)
हिमालय भारत में जम्मू कश्मीर के नंगा पर्वत से लेकर अरुणाचल प्रदेश के नामचा बरवा पर्वत तक 25 सौ किलोमीटर की दूरी में फैला है।


हिमालय की सबसे पश्चिमी चोटी – नंगा पर्वत
हिमालय की सबसे पूर्वी चोटी – नामचा बरवा!तिब्बत पठार के अंतर्गत


– पश्चिम में हिमालय का चौड़ाई अधिक है तथा पूर्व की ओर हिमालय संकरा होता चला गया है जिसके कारण पूर्वी हिमालय की ऊंचाई पश्चिमी हिमालय के अपेक्षाकृत अधिक है।
– हिमालय का आकार चापाकर एवं धनुषाकार है।
– हिमालय का क्षेत्रफल 500000 वर्ग किलोमीटर हिमालय के उत्तर में तिब्बत का पठार तथा तिब्बत के पठार के उत्तर में कुनलून श्रेणी है।
– हिमालय अपने पूर्वी तथा पश्चिमी छोर पर दक्षिणवर्ती मोड़ दर्शाता है, पश्चिमी छोर पर दक्षिणवर्ती मोड़ को पाकिस्तान में सुलेमान पर्वत तथा अफगानिस्तान में हिंदू कुश पर्वत कहते हैं।


पूर्वी छोर पर हिमालय के दक्षिणवर्ती मोड को पूर्वोत्तर भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है।
मिजोरम – मिजो पहाड़ी
मणिपुर – मणिपुर पहाड़ी
नागालैंड – नागा पहाड़ी
अरुणाचल प्रदेश – पटकोई बूम पहाड़ी


– म्यामांर मैं इसे अराकानयोमा पर्वत श्रेणी कहते हैं।
– हिमालय एक नवीन वलित पर्वत है।
– हिमालय का निर्माण सेनोजोयिक महाकल्प में हुआ था।

हिमालय की उत्पत्ति का सबसे अच्छी व्याख्या कोबर का भूसन्नति सिद्धांत करता है|

कोबर जर्मनी के भूगर्भशास्त्री थे। कोबर ने बताया था कि आज जहां हिमालय है वहां पर टेथिस सागर टेथिस भूसन्नतिथा। तथा टेथिस भूसन्नति के दक्षिण में गोंडवाना लैंड था तथा टेथिस भूसन्नति के उत्तर में स्थित भू भाग को अंगारालैंड कहा जाता था कोबर के अनुसार दोनों भूखंडों में नदियां बहती थी।


कोबर के अनुसार गोंडवानालैंड तथा अंगारालैंड में बहने वाली नदियों ने लंबे समय तक टेथिस सागर में अवसादों का निक्षेपण किया जिससे तिथिस भूसन्नति में मलवा जमा होने लगा। अतः लंबे समय तक मलवा जमा होने के कारण नीचे का मलवा अत्यधिक दबाव के कारण चट्टान का रूप धारण कर लिया जैसे जैसे मलवा बढ़ते गया अत्यधिक दाब के कारण टेथिस भूसन्नति और नीचे की ओर अवतलित होने लगा तथा टेथिस भूसन्नति का आयतन बढ़ गया तथा अधिक अवसादों को भरने का जगह मिल गया।


कोबर के अनुसार एक समय ऐसा आया है जब अवतलन होने से टेथिस भूसन्नति में सिकुड़न होने लगा अर्थात उसकी चौड़ाई घटने लगी तथा दोनों तरफ से दबाव के कारण (अंगारालैंड तथा गोंडवाना लैंड) उसमे जमा अवसादों में वलन होने लगा तथा कोबर के अनुसार मोड़ पड़ने की क्रिया अधिक दोनों किनारों पर ही हुई तथा बीच का भाग समतल रूप में ही ऊपर की तरफ उठ गया जिसके तहत हिमालय, तिब्बत का पठार एवं कुनलुन श्रेणी का निर्माण हुआ।


हैरिहेस का प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत भी हिमालय की उत्पत्ति का सफल व्याख्या करता है।


इस सिद्धांत के अनुसार पृथ्वी के सतह से 200 किलोमीटर की गहराई में जाने पर पूरी पृथ्वी पर दृढ़ भूखंड पाया जाता है


|यह दृढ़ भूखंड भागों में विभाजित है| इन भागों को प्लेट कहा जाता है।
1- भारतीय प्लेट
2- यूरेशियन प्लेट
3- अफ्रीकन प्लेट
4- उत्तरी अमेरिकन प्लेट
5- दक्षिण अमेरिकन प्लेट
6- प्रशांत महासागरीय प्लेट
7- अंटार्कटिक प्लेट


ये प्लेटें गतिशील है इस सिद्धांत के अनुसार जब भारतीय प्लेट उत्तर की ओर प्रवाहित होते हुए यूरेशियन प्लेट से टकराई जिसके परिणाम स्वरुप दोनों प्लेट के बीच में स्थित टेथिस सागर में अवसादी मलबे में वलन (मोड़) होने लगा तथा इसके परिणाम स्वरुप हिमालय का निर्माण हुआ|







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Comments Santosh on 22-07-2022

हिमालय की उत्पत्ति कैसे हुई





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