महासंगणक (supercomputer) उन संगणकों को कहा जाता है जो वर्तमान समय में गणना-शक्ति तथा कुछ अन्य मामलों में सबसे आगे होते हैं। अत्याधुनिक तकनीकों से लैस सुपर कंप्यूटर बहुत बड़े-बड़े परिकलन और अति सूक्ष्म गणनाएं तीव्रता से कर सकता है। इसमें कई माइक्रोप्रोसेसर एक साथ काम करते हुए किसी भी जटिलतम समस्या का तुरंत हल निकाल लेते हैं। वर्तमान में उपलब्ध कंप्यूटरों में सुपर कंप्यूटर सबसे अधिक तीव्र क्षमता, दक्षता व सबसे अधिक स्मृति क्षमता वाला कंप्यूटर है। आधुनिक परिभाषा के अनुसार, वे कंप्यूटर, जो 500 मेगाफ्लॉप की क्षमता से कार्य कर सकते हैं, सुपर कंप्यूटर कहलाते है। सुपर कंप्यूटर एक सेकंड में एक अरब गणनाएं कर सकता है। इसकी गति को मेगा फ्लॉप से नापते है।
अनुक्रम
1 उपयोग
2 सुपरकम्प्युटर का ऑपरेटिंग सिस्टम
3 इतिहास
4 महासंगणकों की मुख्य विशेषताएँ
5 सुपर कंप्यूटर की राजनीति
6 महासंगणक और भारत
7 प्रमुख महासंगणक निर्माता
8 बाहरी कड़ियाँ
उपयोग
सुपर कंप्यूटरों का इस्तेमाल मुख्यत: विश्वविद्यालयों, सैनिक व वैज्ञानिक अनुसंधान प्रयोगशालाओं में किया जाता है। इसका उपयोग खासकर ऐसे क्षेत्रों में किया जाता है, जिनमें कुछ ही क्षणों में बड़े पैमाने पर गणनाएं करने की जरूरत पड़ती है। मसलन, मौसम संबधी अनुसंधान, नाभिकीय हथियारों, क्वांटम फिजिक्स और रासायनिक यौगिकों के अध्ययन में सुपर कंप्यूटर का इस्तेमाल किया जाता है।
सुपरकम्प्युटर का ऑपरेटिंग सिस्टम
ज्यादतर नए सुपरकम्प्युटर्स मे लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम काम लिए जाता है लेकिन लिनक्स के आलावा CentOS, bullx SCS, SUSE एंड Cray लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम सुपरकम्प्युटर के लिए काम मे लेते है |
इतिहास
पिछले ६० वर्षों में विश्व के सर्वश्रेष्ठ महासंगणकों की गति बढ़ती गयी है।
पहला सुपर कंप्यूटर इल्लीआक 4 है, जिसने 1975 में काम करना आरंभ किया। इसे डेनियल स्लोटनिक ने विकसित किया था। यह अकेले ही एक बार में 64 कंप्यूटरों का काम कर सकता था। इसकी मुख्य मेमोरी में 80 लाख शब्द आ सकते थे और यह 8, 32, 64 बाइट्स के तरीकों से अंकगणित क्रियाएं कर सकता था। इसकी कार्य क्षमता 30 करोड़ परिकलन क्रियाएं प्रति सेकंड थी, अर्थात जितनी देर में हम बमुश्किल 8 तक की गिनती गिन सकते हैं, उतने समय में यह जोड़, घटाना, गुणा, भाग के 30 करोड़ सवाल हल कर सकता था।
सर्वश्रेष्ट 5 सुपरकंप्यूटर
तिअन्हे-१अ (एन यू डी टी), चीन
ब्लू जीन/ एल सिस्टम (आईबीएम), यूएस
ब्लू जीन/पी सिस्टम (आईबीएम), जर्मनी
सिलिकॉन ग्राफिक्स (एसजीआई), न्यू मैक्सिको
एका, सीआरएल (आर्म ऑफ टाटा सन्स), भारत
इंटरनेशनल कांफ्रेंस फॉर हाई परफोर्मेंस कंप्यूटिंग रेनो (कैलिफोर्निया) ने दुनिया के टॉप- 500 कंप्यूटरों की सूची जारी की है। इसमें टाटा के सुपर कंप्यूटर एका को दुनिया में चौथा और एशिया में सबसे तेज सुपर कंप्यूटर करार दिया गया है। यह एक सेकंड में 117.9 ट्रिलियन (लाख करोड़) गणनाएं कर सकता है। 40 वर्ष पहले सुपर कंप्यूटर के बाजार में जहां महज कई कंपनियां थी, वहीं अब इस बाजार में क्रे, डेल, एचपी, आईबीएम, एनईसी, एसजीआई, एचपी, सन जैसे बड़े नाम ही बचे हैं।
महासंगणकों की मुख्य विशेषताएँ
महासंगणकों की मुख्य विशेषताएँ ये हैं-
संगणन गति - प्रति सेकेण्ड खरबों फ्लोटिंग प्वाइंट संक्रियाएँ (TFlops) करने की क्षमता
आकार : इनको ठण्डा करने के लिये विशेष व्यवस्था करनी पड़ती है।
उपयोग करने में कठिनाई : इन्हें विशेषज्य लोग ही उपयोग में ले पाते हैं।
ग्राहक : विशाल अनुसंधान केन्द्र
सामाजिक पहुँच : लगभग शून्य
समाज पर प्रभाव : अनुसंधान के क्षेत्र में बहुत अधिक
लागत मूल्य : २०१० में प्रत्येक के लिये सैकड़ों मिलियन डॉलर (क्रे XT5 के लिये लगभग US 225MM )
सुपर कंप्यूटर की राजनीति
1980 के अंतिम दशक में भारत को अमेरिका ने क्रे सुपर कंप्यूटर देने से इनकार कर दिया था। इसके पीछे अमेरिका की अपने प्रभुत्व बरकरार रखने की मंशा मानी जा रही थी, क्योंकि वह एक ऐसा दौर था, जब भारत और चीन में तकनीकी क्रांति की शुरुआत हो चुकी थी। ऐसे में, अमेरिका नहीं चाहता था कि विश्व में कोई दूसरी शक्ति तकनीक के मामले में उसके मुकाबले में खड़ी हो। चूंकि सुपर कंप्यूटर के उपयोग से रॉकेट प्रक्षेपण, परमाणु विस्फोट के समय गणनाओं में आसानी हो जाती है, इसलिए भी अमेरिका के मन में भय था कि कहीं इसके द्वारा भारत अपने नाभिकीय ऊर्जा प्रसार कार्यक्रम को एक नया रूप न दे दे। लेकिन भारतीय वैज्ञानिकों ने सी-डेक परम-8000 कंप्यूटर बनाकर अपनी क्षमताओं का एहसास करा दिया। 1988 में रूस ने भारत को सुपर कंप्यूटर देने की बात कही थी। लेकिन हार्डवेयर सही न होने के कारण रूस के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। भारत ने सुपर कंप्यूटर बनाने के बाद परम 8000 जर्मनी, यूके और रूस को दिया।
महासंगणक और भारत
विश्व के सर्वश्रेष्ठ ५०० महासंगणकों का विश्व में वितरण (नवम्बर २०१५)
भारत भी अब सुपर कंप्यूटर के क्षेत्र में एक हस्ती है। दुनिया के अव्वल 500 सुपर कंप्यूटरों की नई टॉप टेन लिस्ट में उसका सुपर कंप्यूटर चौथे स्थान पर आया है। टाटा कंपनी की पुणे स्थित इकाई - कंप्यूटेशनल रिसर्च लैबोरेटरीज के बनाए हुए सुपर कंप्यूटर ‘एचपी-3000-बीएल-460-सी’ को 117.9 टेराफ्लॉप की गति के कारण अमेरिका और जर्मनी के सुपर कंप्यूटरों के ठीक बाद स्थान दिया गया है। हालांकि हमारा यह पहला सुपर कंप्यूटर नहीं है। इससे काफी पहले 1998 में सी-डेक, पुणे के वैज्ञानिक ‘परम-10000’ सुपर कंप्यूटर बना चुके हैं और दावा था कि उस वक्त वह सुपर कंप्यूटर मौजूदा अमेरिकी सुपर कंप्यूटरों के मुकाबले 50 गुना तेज था। लेकिन उसके बाद सुपर कंप्यूटिंग को लेकर भारत में वैसी उत्सुकता नहीं दिखाई दी, जैसी अन्य विकसित मुल्कों में इस दौरान रही है। पर अब लगता है कि भारत इस दौड़ में पिछड़े नहीं रहना चाहता, जिसका नतीजा है टाटा का यह सुपर कंप्यूटर।
विश्व का पहला सुपर कम्प्यूटर का नाम
क्या है
Vishva ka pahala computer
Vishva ka super computer kon sa hai
Duniya ka sabse pahla super computer Hindi mein
Visaw ka sabse phla supar computer ka name kya h
Is kamputer ka nam kay hei
Aap kaha rehete ho
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Viwa ka phela super computer