Nabhik Ki Trijya नाभिक की त्रिज्या

नाभिक की त्रिज्या



Pradeep Chawla on 29-10-2018

रदरफोर्ड ने गणना करके दिखाया कि नाभिक का आयतन परमाणु के कुल आयतन की तुलना ने नगण्य है। परमाणु की त्रिज्या लगभग 1010 होती है व नाभिक की त्रिज्या 10−15 होती है।


Pradeep Chawla on 29-10-2018


परमाणु बल द्वारा एक नाभिक बनाने के लिए प्रोटॉन और न्यूट्रॉन एक साथ बंधे होते हैं। न्यूक्लियस का व्यास यूरेनियम जैसे भारी परमाणुओं के लिए लगभग 15 एफएम तक हाइड्रोजन (एकल प्रोटॉन का व्यास) के लिए 1.75 एफएम (1.75 × 10 की शक्ति से -15 मीटर) की सीमा में है।


Pradeep Chawla on 29-10-2018

​नाभिक की संरचना : नाभिकीय आकार, आकृति एवं घनत्व-

January 18, 2018 ~ वैभव पाण्डेय

​नाभिक की संरचना : नाभिकीय आकार, आकृति एवं घनत्व
नाभिक की संरचना की व्याख्या परमाणु के नाभिकीय आकार, नाभिकीय आकृति एवं नाभिकीय घनत्व के आधार पर करेंगे। नाभिक की संरचना की परिकल्पना (i) प्रोटॉन-इलेक्ट्रान परिकल्पना तथा प्रोटॉन-न्यूट्रॉन परिकल्पना के आधार पर करेंगे।
नाभिकीय आकार


रदरफोर्ड ने पतले धातु के पत्रों पर α-प्रकीर्णन प्रयोग द्वारा परमाणवीय नाभिकीय आकार का आंकलन किया।
नाभिक का आकार ज्ञात करने के लिये उच्च ऊर्जा के इलेक्ट्रानों तथा न्यूट्रॉनों को प्रकीर्णन के लिए प्रयुक्त करके, अनेक प्रकीर्णन प्रयोग किये गये
जिसके आधार पता लगा कि नाभिकीय आकार उसमें उपस्थिति न्यूक्लिआनों की संख्या के अनुक्रमानुपाती होता है।
यदि नाभिक की दृव्यमान संख्या A है और नाभिक की त्रिज्या R है , तब


(4/3)π R3α A


अथवा R α A1/3
अथवा R = R0 A1/3
यहाँ R0 एक नियतांक है।
परमाणुओं के लिए भिन -भिन होती है , अतः विभिन्न नाभिकों की परमाणवीय त्रिज्याएँ भिन्न भिन्न भिन होती हैं।
परमाणवीय नाभिकीय त्रिज्याएँ प्राय: फर्मी में व्यक्त की जाती है , जहाँ
1 फर्मी (F) = 10-15 मीटर
इस प्रकार, R = 1.2 A1/3 F
नाभिकीय आकृति :


सामान्य कार्यो के लिये, नाभिक को गोलाकार माना जाता है। कुछ नाभिक गोलीयपन से विचलित होते हैं, परन्तु यह विचलन लगभग 10% ही होता है।
नाभिकीय घनत्व:


नाभिकीय घनत्व, द्रव्यमान संख्या A पर निर्भर नहीं करता है। इसका अर्थ यह हुआ कि सभी परमाणुओं के नाभिकों के घनत्व लगभग समान होते हैं।
विश्व में नाभिकीय घनत्व केवल न्यूट्रॉन तारों में पाया जाता है।
नाभिक की संरचना


नाभिक की संरचना निम्न दो परिकल्पनाओं के माध्यम से समझते हैं:
(i) प्रोटॉन-इलेक्ट्रान परिकल्पना
रदरफोर्ड के α-प्रकीर्णन प्रयोग से ज्ञात होता है। कि किसी परमाणु का समस्त धन आवेश तथा लगभग समस्त द्रव्यमान उसके केंद्र पर एक अत्यंत सूक्ष्म स्थान में संकेंद्रित रहता है। इस स्थान को परमाणु का ‘नाभिक’ कहते हैं।
जब रदरफोर्ड ने प्रोटॉन की खोज की तो पाया कि प्रोटॉन का द्रव्यमान हाइड्रोजन के नाभिक के द्रव्यमान के बराबर होता है तथा प्रोटॉन पर +e आवेश होता होता है। जोकि इलेक्ट्रान के ऋणात्मक आवेश के बराबर होता है। इलेक्ट्रान का द्रव्यमान, प्रोटॉन के द्रव्यमान के सामने बहुत छोटा होता है। इन सभी तथ्यों को देखते हुए यह मान लिया गया कि परमाणु का नाभिक प्रोटॉन तथा इलेक्ट्रान से मिलकर बना होता है। इसे ही प्रोटॉन-इलेक्ट्रान परिकल्पना कहते हैं।
नाभिक का व्यास 10-15 मीटर की कोटि का होता है।
नाभिक के चारो ओर इलेक्ट्रान निश्चित कक्षाओं मे घूमते रहते हैं जिनका कुल ऋण आवेश, नाभिक के धन आवेश के बराबर होता है।
पूरा परमाणु सामान्य अवस्था मे आवेशरहित होता है।
प्रोटॉन-इलेक्ट्रान परिकल्पना में दोष
(i) कथन: नाभिक का आकार केवल 10-15 मीटर की कोटि का होता है।
व्याख्या: अनिश्चतता के सिधान्त के अनुसार , यदि कोई इलेक्ट्रान इतने सूक्ष्म स्थान में निहित है तो उसकी ऊर्जा 100MeV की कोटि की होनी चाहिए परन्तु रेडियोएक्टिव परमाणुओं के नाभिक से उत्सर्जित होने वाले β-कणों की ऊर्जा केवल 2-3 MeV होती है। ऊर्जा का यह अंतर स्पष्ट करता है कि नाभिक में इलेक्ट्रोन नही हो सकते हैं।
(ii) कथन: नाभिक का चुम्बकीय आघूर्ण
व्याख्या: प्रोटॉन-इलेक्ट्रान परिकल्पना के अनुसार यदि नाभिक में इलेक्ट्रान उपस्थित हैं तो नाभिक का चुम्बकीय आघूर्ण इलेक्ट्रान के चुम्बकीय आघूर्ण से कम नही हो सकता लेकिन नाभिक का चुम्बकीय आघूर्ण इलेक्ट्रान के चुम्बकीय आघूर्ण का केवल 1000वॉ भाग होता है। इससे स्पष्ट होता है कि नाभिक के भीतर इलेक्ट्रान उपस्थिति नहीं होते हैं।
(iii) कथन: कोणीय सवेंग
व्याख्या: प्रोटॉन-इलेक्ट्रान परिकल्पना के अनुसार यदि नाभिक में इलेक्ट्रान उपस्थित हैं तो नाभिक का कोणीय सवेग प्रयोग द्वारा ज्ञात कोणीय़ संवेग से भिन्न आना चाहिए इससे स्पष्ट होता है कि नाभिक के भीतर इलेक्ट्रान उपस्थिति नहीं होते हैं।
प्रोटॉन-न्यूट्रॉन परिकल्पना:
जब 1932 मे न्यूट्रॉन की खोज हुई और पाया गया कि न्यूट्रॉन पर कोई आवेश नही होता है , परन्तु इसका द्रव्यमान लगभग प्रोटॉन के द्रव्यमान के ही बराबर होता है। न्यूट्रॉन तथा प्रोटॉन के गुणों में समनाता नाभिक के गुणों के अनुरूप है। अतः अब यह माना गया कि नाभिक में प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन होते हैं प्रोटोन नाभिक को धन आवेश प्रदान करते है। प्रोटॉन और न्यूट्रॉन मिलकर नाभिक को द्रव्यमान प्रदान करते हैं। इसीलिये इस परिकल्पना को प्रोटॉन-न्यूट्रॉन परिकल्पना कहा गया।
परमाणु द्रव्यमान संख्या
प्रोटॉन व न्यूट्रॉन की कुल संख्या परमाणु के द्रव्यमान के पूर्णांक के बराबर होती है तथा इसे परमाणु द्रव्यमान संख्या कहते हैं।
परमाणु क्रमांक’
प्रोटॉनों की संख्या को ‘परमाणु क्रमांक’ कहते हैं ‘परमाणु क्रमांक’ की साहयता से आवर्त सारणी में किसी तत्व का स्थान निर्धारित होता है।
न्यूक्लिआन: नाभिकीय कणों प्रोटॉन एवम् न्यूट्रॉन को न्यूक्लिआन भी कहा जाता है।
परमाणु-द्रव्यमान मात्रक


1 परमाणु-द्रव्यमान मात्रक (amu), कार्बन परमाणु (6C12) के द्रव्यमान के बारहवें भाग के द्रव्यमान के बराबर होता है।


1 कार्बन परमाणु (6C12) का द्रव्यमान = 12.00000 amu


यह द्रव्यमान का अतिसूक्ष्म मात्रक होता है।


परमाणु-द्रव्यमान मात्रक तथा किग्रा में संबंध
1 amu = 1.66 × 10-27 किग्रा


परमाणु-द्रव्यमान मात्रक तथा ऊर्जा में संबंध


1 amu = 931 MeV






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Comments Sumit mishra on 07-12-2023

What is the greatest wonder in this word??

Bharat singh on 04-12-2023

Parmaanu ki tirjya ka matrak kiya h

Nabhik ka trijya on 11-08-2023

Nabhik ka trivia


Ramashish singh on 04-05-2022

Helium nabhi ko Mukt protan tatha neutron mein bhi khandit karne ke liye newnatam Kitni Urja ki avashyakta Hogi hydrogen Parmanu Ek neutron aur hydrogen Parmanu ka dravyaman matrak AMU kramashah 1.007825 aur 1.01665002 603 hai

Abhishek Kumar on 27-01-2021

Nabhik ka ghantav kitna hota hay

Shadab khan on 05-01-2021

Nabhik ka naam man





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