Nabhik Kya Hai नाभिक क्या है

नाभिक क्या है



GkExams on 01-02-2019

नाभिक अत्यंत सूक्ष्म आकार का होता है और परमाणु के केंद्र में स्थित होता है। यह धन आवेशित होता है तथा नाभिक में परमाणु का लगभग समस्त द्रव्यमान केंद्रित होता है।

नाभिक के अस्तित्त्व

नाभिक के अस्तित्त्व और इसके गुणों का पता लगाने का श्रेय विख्यात वैज्ञानिक रदरफ़ोर्ड को जाता है। रदरफ़ोर्ड की प्रयोगशाला में विघटन से प्राप्त ऐल्फा (α) कणों पर विस्तृत प्रयोग हो रहे थे। इन प्रयोगों में यह पाया गया कि धातु की पतली पन्नियों में से होकर जब ऐल्फा कण जाते हैं तब वे अपने मार्ग से बहुत अधिक विचलित हो जाते हैं। उस समय तक यह माना जाता था कि परमाणु में धन और ऋण आवेश समरूप से वितरित होते हैं। इस धारणा के आधार पर टॉमसन ने ऐल्फा कणों के प्रकीर्णन की गणना की थी, परंतु प्रयोगात्मक रूप से प्रकीर्णन का जो मान प्राप्त होता था वह गणना द्वारा प्राप्त मान से कई कोटि अधिक था। इस वैषम्य को स्पष्ट करने के लिए रदरफ़ोर्ड ने 1911 ई. में नया सिद्वान्त प्रतिपादित किया, जिससे नाभिक का अस्तित्त्व स्पष्ट हुआ। रदरफ़ोर्ड ने यह माना की परमाणु में धन आवेश समरूप से वितरित नहीं होता, बल्कि उसके केंद्र पर अत्यंत सूक्ष्म आयतन में ही सीमित होता है। परमाणु के केंद्र में स्थित अत्यंत सूक्ष्म और धनावेशित भाग को नाभिक कहा जाता है। परमाणु का समस्त द्रव्यमान उसके धन आवेशों में निहित होता है और रदरफ़ोर्ड के अनुसार समस्त धन आवेश नाभिक में केंद्रित होते हैं, अत: स्पष्ट है कि परमाणु का समस्त द्रव्यमान उसके नाभिक में केंद्रित होता है। इस प्रकार मोटे रूप में रदरफ़ोर्ड ने 1911 ई. में नाभिक का अस्तित्त्व सिद्ध किया।

नाभिकीय संरचना

न्यूट्रॉन के आविष्कार के बाद से यह माना जाता है कि नाभिक न्यूट्रॉन और प्रोटॉन से मिलकर बने हैं। नाभिक में प्रोटॉनों की संख्या Z से व्यक्त की जाती है। यह परमाणु संख्या के बराबर होती है। नाभिक में न्यूट्रॉनों की संख्या इतनी होती है कि न्यूट्रॉनों और प्रोटॉनों की संख्या मिलकर परमाणु भार के बराबर हो जाए। इस प्रकार परमाणु संख्या Z और परमाणु भार A वाले नाभिक में Z प्रोटॉन और AZ न्यूट्रॉन यहाँ होते हैं। नाभिक को से व्यक्त करते हैं। X उस तत्व का रासायनिक संकेत है, Z परमाणु संख्या तथा A परमाणु भार है। हल्के नाभिकों में प्राय: प्रोटॉनों और न्यूट्रॉनों कीं संख्या बराबर होतीं है। जैसे-जैसे नाभिक भारी होता जाता है प्रोटॉनों से न्यूट्रॉनों की संख्या अधिक होती जाती है। यूरेनियम जैसे भारी तत्व, के नाभिक में न्यूट्रॉनों की संख्या प्रोटॉनों की संख्या से लगभग ड्योढ़ी होती है। किसी नाभिक में प्रोटॉनों और न्यूट्रॉनों का अनुपात ऐच्छिक नहीं होता। इनका निश्चित अनुपात होने पर ही नाभिक स्थायी होता है। प्राय: एक ही तत्व के विभिन्न नाभिकों में प्रोटॉनों की संख्या वही रहने पर भी न्यूट्रॉनों की संख्या में कुछ अंतर हो जाता है। उदाहरण के लिए टिन (Sn) के सभी नाभिकों में प्रोटॉनों की संख्या तो 50 ही होती है, परंतु न्यूट्रॉन 52 से लेकर 74 तक हो सकते हैं। ऐसे नाभिक, जिनमें प्रोटॉनों की संख्या वही हो परंतु न्यूट्रॉनां की संख्या भिन्न हो, समस्थानिक कहलाते हैं। इसे अतिरिक्त दो भिन्न तत्वों के नाभिक ऐसे भी हो सकते हैं जिनमें से एक के प्रोटॉनों की संख्या दूसरे के न्यूट्रॉनों की संख्या के बराबर होती है। इन्हें प्रतीपनाभिक कहते हैं। जैसे 1H3 और 2He3 में क्रमश: एक प्रोटॉन, दो न्यूट्रॉन और दो प्रोटॉन तथा एक न्यूट्रॉन हैं।






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Comments Uttam mishra on 18-06-2022

Nabhik Kya hai





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