Madhy Ratri Ka Surya Kahan Dikhayi Deta Hai मध्य रात्रि का सूर्य कहाँ दिखाई देता है

मध्य रात्रि का सूर्य कहाँ दिखाई देता है



Pradeep Chawla on 12-05-2019

14 Votes



midnightsunउत्तरी

गोलार्द्ध(Northern Hemisphere)में मध्य मई से जुलाई के अंत तक तथा

दक्षिणी गोलार्द्ध(Southern Hemisphere)में मध्य नवंबर से जनवरी के अंत तक

की अवधियों में 63°समानांतर से उच्च अक्षांशों(High Latitude)में पाई जाने

वाली वह अवस्था, जिसमें सूर्य 24 घंटे नहीं छिपता और मध्य रात्रि में भी

देखा जा सकता है।



हमारी पृथ्वी पर ऐसे भी कुछ स्थान हैं जहाँ वर्ष के कुछ खास महीनों में

आधी रात को भी सूर्य के दर्शन होते हैं।आपको विश्वास नहीं?परंतु यह सत्य

है।मध्य-रात्रि के समय सूर्य के दिखाई देने वाली घटना एक प्राकृतिक

घटना(Natural Phenomena)है।आप लोग इतना तो जानते ही है कि आकाश में सूर्य

स्थिर(पृथ्वी के सापेक्ष)है और हमारी पृथ्वी अपनी कक्षा या भ्रमण पथ पर

उसके चारों ओर लगभग 365 दिन में एक चक्कर पूरा करती है।इसके साथ ही वह अपने

अक्ष या धुरी पर 24 घंटे में एक चक्कर पूरा करती है।पृथ्वी के इस निरंतर

भ्रमण के कारण ही दिन व रात होते हैं। परंतु हम देखते हैं कि दिन और रात की

अवधि हमेशा बराबर नहीं होती। कभी दिन बड़े और रातें छोटी होती हैं तो कभी

दिन छोटे और रातें बड़ी होती हैं।यह पृथ्वी के अक्ष के झुकाव(Axis Tilt)का

परिणाम है।यहां हम आपको बता दें कि पृथ्वी का कोई वास्तविक अक्ष नहीं होता

है किंतु जब पृथ्वी घूमती है तो एक ठीक उत्तर और दूसरा ठीक दक्षिण में ऐसे

दो बिंदु बनते हैं जिन्हें एक सीधी रेखा से जोड़ देने की कल्पना करें तो

वैसी ही एक धुरी बन जाएगी जैसी साइकिल के पहियों की धुरी होती है जिन पर वे

घूमते हैं।



day-and-night-on-the-earthपृथ्वी

अपने तल से 66.5°का कोण बनाते हुए घूमती है या यों कहें कि पृथ्वी का अक्ष

सीधा न होकर 23.5°(Actual Earth Axis Tilt::23.4392811°)तक झुका हुआ

है।अक्ष के झुकाव के कारण ही दिन व रात छोटे-बड़े होते हैं।21 जून व 22

दिसंबर ऐसी दो तिथियां हैं जिनमें सूर्य का प्रकाश वृत्त पृथ्वी की धुरी के

झुकाव के कारण पृथ्वी के सभी स्थानों को समान भागों में नहीं बांटता

है।इसलिए दिन और रात की अवधि में अंतर आता है।उत्तरी गोलार्द्ध में

मध्य-रात्रि अर्थात रात को 12 बजे भी सूर्य दिखाई देने की घटना का संबंध 21

जून वाली स्थिति से है।इस समय 66°उ.अक्षांश से 90°उ. अक्षांश तक का

संपूर्ण भू-भाग प्रकाश वृत्त के भीतर रहता है।इसका अर्थ यह हुआ कि यहाँ

चौबीसों घंटे दिन रहता है रात होती ही नहीं इसीलिए वहाँ आप आधी रात को भी

सूर्य को देख सकते हैं।वहाँ न तो सूर्योदय होगा और न सूर्यास्त होगा।बस यही

है अर्द्धरात्रि के सूर्य-दर्शन की घटना का रहस्य।



day-and-night-on-the-earth2आर्कटिक

घेरे के उत्तर में और अंटार्कटिक घेरे के दक्षिण में पड़ने वाले सभी

इलाकों में गर्मियों के मौसम में आधी रात को भी सूरज दिखाई देता है।अगर

मौसम साफ़ हो तो यहां 24 घंटे सूरज नज़र आता है।आर्कटिक घेरे के उत्तर में

पड़ने वाले देश हैं कनाडा, अमरीका का राज्य अलास्का, ग्रीनलैंड, नॉर्वे,

स्वीडन, फ़िनलैंड, रूस और आइसलैंड जबकि अंटार्कटिक घेरे के दक्षिण में कोई

इंसानी बस्ती नहीं है।उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव पर तो सूरज वर्ष में

एक बार उगता है और एक बार डूबता है जिसका परिणाम यह होता है कि लगभग छह

महीने दिन रहता है और छह महीने रात।



नार्वे यूरोप महाद्वीप का एक देश है।आप विश्व मानचित्र या एटलस में इसकी

स्थिति देख सकते है।इसके उत्तरी छोर पर हेमरफेस्ट(Hemerfest)नामक शहर

है।यहाँ उन दिनों मध्यरात्रि के सूर्य के दर्शन करने के लिए कई शौकीन

पर्यटक आते हैं।इसीलिए नार्वे को “मध्यरात्रि के सूर्य का देश’ भी कहा जाता

हैं।यहां चौबीसों घंटे सूर्य क्षितिज पर दिखाई देता है।प्रकृति के इस

अद्भुत करिश्मे को देखने का जीवन में यदि आपको कभी अवसर मिले तो हेमरफेस्ट

ज़रूर जाइए।



विषुव (अंग्रेज़ी:इक्विनॉक्स)





equinoxविषुव

(अंग्रेज़ी:इक्विनॉक्स) ऐसा समय-बिंदु होता है, जिसमें दिवस और रात्रि

लगभग बराबर होते हैं। इसका शब्दिक अर्थ होता है – समान। इक्वीनॉक्स शब्द

लैटिन भाषा के शब्द एक्वस (समान) और नॉक्स (रात्रि) से लिया गया है। किसी

क्षेत्र में दिन और रात की लंबाई को प्रभावित करने वाले कई दूसरे कारक भी

होते हैं। पृथ्वी अपनी धुरी पर 23½° झुके हुए सूर्य के चक्कर लगाती है, इस

प्रकार वर्ष में एक बार पृथ्वी इस स्थिति में होती है, जब वह सूर्य की ओर झुकी

रहती है, व एक बार सूर्य से दूसरी ओर झुकी रहती है। इसी प्रकार वर्ष में

दो बार ऐसी स्थिति भी आती है, जब पृथ्वी का झुकाव न सूर्य की ओर ही होता है

और न ही सूर्य से दूसरी ओर, बल्कि बीच में होता है। इस स्थिति को विषुव या

इक्विनॉक्स कहा जाता है। इन दोनों तिथियों पर दिन और रात की बराबर लंबाई

लगभग बराबर होती है। यदि दो लोग भूमध्य रेखा से समान दूरी पर खड़े हों तो

उन्हें दिन और रात की लंबाई बराबर महसूस होगी। ग्रेगोरियन वर्ष के आरंभ

होते समय (जनवरी माह में) सूरज दक्षिणी गोलार्ध में होता है और वहां से

उत्तरी गोलार्ध को अग्रसर होता है। वर्ष के समाप्त होने (दिसम्बर माह) तक

सूरज उत्तरी गोलार्द्ध से होकर पुनः दक्षिणी गोलार्द्ध पहुचं जाता है। इस

तरह से सूर्य वर्ष में दो बार भू-मध्य रेखा के ऊपर से गुजरता है।





इस परिभाषा को सूर्य के पृथ्वी पर उदय और अस्त या परिक्रमा के संदर्भ

में देखें तो इक्विनॉक्स एक ग्रह की कक्षा में लगने वाला वह समय है, जिसमें

ग्रह की कक्षा और विशिष्ट स्थिति में सूर्य सीधे भूमध्य रेखा के ऊपर से

होकर निकलता है। दिन और रात बराबर होने की बात सिद्धान्तः होती है पर

वास्तविकता में नहीं। आजकल यह समय लगभग 22 मार्च तथा 23 सितंबर को आता है।

जब यह मार्च में आता है तो उत्तरी गोलार्द्ध में रहने वाले इसे महा/बसंत

विषुव (Vernal/(अंग्रेज़ी)) कहते हैं तथा जब सितंबर में आता है तो इसे

जल/शरद विषुव (fall/(अंग्रेज़ी)) कहते हैं। यह उत्तरी गोलार्द्ध में इन

ऋतुओं के आने की सूचना देता है। यह समय विषुव अयन के कारण समय के साथ साथ

बदलता रहता है। अंतर्राष्ट्रीय समय में भिन्नता के कारण अलग अलग देशों में

इसके दिखने की तिथियों में अंतर हो सकता है। उदाहरण के लिए दूरस्थ पूर्वी

देशों में यह यूरोप और अमेरिका से एक दो दिन आगे पीछे दिख सकता है। हर ग्रह

की एक काल्पनिक केंद्रीय रेखा को भूमध्य रेखा कहते हैं। इसके साथ ही

भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर अंतरिक्ष में एक काल्पनिक आकाशीय रेखा भी होती है।

इक्विनॉक्स के समय सूर्य सीधे भूमध्य रेखा की सीध में होता है। इसका अर्थ

यह है कि यदि कोई व्यक्ति भूमध्य रेखा पर खड़ा हो तो सूर्य उसे सीधे अपने

सिर के ऊपर दिखाई देगा। इसका यह भी अर्थ है कि आधा ग्रह पूरी तरह प्रकाशित

होता है और इस समय दिन और रात लगभग बराबर होते हैं।



उत्तरी ध्रुव पर रहने वाले लोगों के लिए इक्विनॉक्स के अगले छह महीने

लगातार दिन वाले होते हैं जबकि दक्षिणी ध्रुव के लोगों के लिए छह महीने

अंधेरी रात वाले। इक्विनॉक्स के इस विशेष दिन दोनों ध्रुवों के लोगों को

सूर्य का एक जैसा प्रकाश देखने को मिलता है, जबकि दोनों जगह का मौसम अलग

होगा।






सम्बन्धित प्रश्न



Comments Ashu on 21-05-2020

Kis Desh Mein madhyaratri ko
Surya Dikhai deta hai





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