मटर
एक फूल धारण करने वाला द्विबीजपत्री पौधा है। इसकी जड़ में गांठे मिलती
हैं। इसकी संयुक्त पत्ती के अगल कुछ पत्रक प्रतान में बदल जाते हैं। यह
शाकीय पौधा है जिसका तना खोखला होता है। इसकी पत्ती सेयुक्त होती है। इसके
फूल पूर्ण एवं तितली के आकार के होते हैं। इसकी फली लम्बी, चपटी एवं अनेक
बीजों वाली होती है।
अंगेती किस्में : अर्केल, आजाद पी-3, पंजाब अंगेता, पूसा प्रगति, काशी नंदिनी, काशी उदय व वी.एल.-7
मध्यकालीन व पछेती किस्में : बोनविले, लिंकन, वी.एल.-3, पंत उपहार, जवाहर मटर-1, आजाद पी.-1, काशी द्याक्ति व पालम प्रिया
जलवायु : मटर के लिए ठंडी जलवायु की आवश्यकता है। पाले
का असर फूल तथा ुल आने की अवस्था में अधिक होता है। बीज जमाव के लिए
न्यूनतम 5 डिग्री से. तापमान तथा अधिकतम 22 डिग्री से. होना चाहिए।
बीज दर
अगेती किस्में : 100 कि.ग्रा./हेक्टेयर
मध्यकालीन व पछेती किस्में : 70-75 कि.ग्रा./हेक्टेयर
बुवाई का समय : अक्टूबर के मध्य से आरंभ कर नवम्बर के मध्य तक उत्तम है। अगेती किस्में सितम्बर के मध्यम में बोई जा सकती हैं।
बुवाई की दूरी : अगेती किस्में 30 सें.मी. पंक्ति से पंक्ति तथा पछेती किस्में 45 सें.मी. पंक्ति से पंक्ति पौधे की दूरी 6-8 सें.मी. पर्याप्त है।
उर्वरण व खाद : खेत की तैयारी के समय 20-25 टन गोबर की
खाद, नत्रजन 40 कि.ग्रा., फास्फोरस 60 कि.ग्रा. व पोटाश 50
कि.ग्रा./हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें।
सिंचाई : पलेवा करके बुवाई करें तथा फसल में फूल आने पर पहली सिंचाई करें।
खरपतवार नियंत्रण : एक या दो निराई, स्टामप 3 लिटर/हेक्टेयर की दर से बुवाई के बाद घोल बनाकर छिड़काव करें।
तुड़ाई : हरी फलियाँ जब पूर्र्ण भरी हुइ्र अवस्था में हों तथा जब उनका रंग गहरे हरे से हल्का हरा हो तब तुड़ाई करें।
उपज :
अगेती : 30-40 क्विंटल/हिैक्टर हरी फली
मध्यम व पछेती : 80-90 क्विंटल/हिैक्टर हरी फली
बीजोत्पादन : बीज उत्पादन हेतू पृथक्करण दूरी आधार बीज
के लिए 10 मी. तथा प्रमाणित बीज के लिए 5 मी. रखें। अवांछित पौधो को फसल
में फूल आने की अवस्था, फली में बीज भरने की अवस्था पर पौधे के प्रकार,
आकार व फलियों के आकार के आधार पर निकाल दें जिससे हमें शुद्ध बीज प्राप्त
हो सके। फसल की कटाई 90 प्रतिशत फलियों के पकने की अवस्था में करें। मड़ाई
सफाई शुष्कन तथा उपचार के बाद बीज का भंडारण करें।
बीज उपज : 15-20 क्विंटल/हेक्टेयर
रोगकाकारण
लक्षण
नियंत्रण
चूर्णी आसिता (पाउडर मिल्ड्यू)
इस रोग का प्रकोप होने पर पौधों की पत्तियाँ, तने, शाखाएं की पत्तियाँ, तने, तथा कलियाँ बुकनी जैसे पदार्थ से ढक जाती है।
कैराथेन 1 मि.लि./लिटर या सल्फर युक्त रसायन (सल्फेक्स एलोसोल
हेक्साल) (2.0 ग्राम/ लिटर पानी) का छिड़काव रोग प्रकट होने तथा 15 दिन के
अन्तराल पर आवश्यकतानुसार करें।
मटर का गुण
Matar ke common name
Matar ka vargikaran
Matar ka scientific name
Matar ka ghan kya hai
मटर के पौधों का वर्गीकरण
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