Sanchore Chauhan Rajput सांचोर चौहान राजपूत

सांचोर चौहान राजपूत



GkExams on 05-02-2019

सांचोरा :- सांचोर चौहान की उत्पत्ति विवाद से परे नहीं हे | नेनसी ने इनकी उतपत्ति नाडोल के अश्वराज 1167-1172 के पुत्र आल्हंण के पुत्र विजय सिंह से लिखते हे | नेणसी ने आगे लिखा हे की विजय सिंह ने 1141 वि. में सांचोर पर अधिकार किया | अश्वराजा का समय 1167-1172 विक्रमी का पोत्र विजय सिंह 1141 वि.में सांचोर केसे जीत सकता हे ? अब शिलालेखों का आधार भी देखिये | हरपालिया ( बाड़मेर ) में हरपाल नामक चौहान का 1346 वि. का शिलालेख मिला हे जिसमे लिखा हे की सूर्यवंश के उपवंश चौहान वंश में राजा विजयहि हुए | उसके बाद बख्तराज ,यश्कर्ण ,सुभराज, भीम आदी के बाद आठवें राजा हरपालदेव और राजकुमार सामंतसिंह हुए |
यदि हम प्रतिव्यक्ति का इतिहास सम्वत समय 20 वर्ष माने तो विजय सिंह हरपाल से 12 पीढ़ी पहले था | अतः 240 वर्ष हुए | इस कारन विजय सिंह का समय 1346-240=1106 हुआ इस द्रष्टि से विजय सिंह का वि. 1141 में सांचोर विजय का समय ठीक पड़ता हे | इससे निश्चिन्त हो जाता हे की यह विजय सिंह आसराज 1167-1172 के पुत्र आल्हण का पुत्र नहीं हे तो किसका हे प्रसन्न खड़ा हो जाता हे ? वि. सं. 1377 के लूम्भा अचलेश्वर शिलालेख व् माला आशियाँ 1590-1600 वि. के छपय से जान पड़ता हे की लक्षमण के पुत्र आसराव के वंशजों में प्रताप उर्फ़ आल्हण नाम का व्यक्ति हुआ इसी का पुत्र विजय सिंह था | विजयसिंह के बाद पदमसी ,शोभित व् साल्ह हुए | बाद की ख्यातों में भूल से नाडोल के प्रसिद्ध शासक आसराज के पुत्र आल्हण से विजय सिंह का सम्बन्ध जोड़ दिया गया | अतः सिद्ध हुआ की विजय सिंह देवड़ा था जो की लक्षमण के पुत्र आसराज के वंशज उर्फ़ प्रताप आल्हण का पुत्र था |
विजय सिंह ने सांचोर जीता | विजय सिंह के बाद पदमसी ,शोभित व् साल्ह हुए | अतः सांचोर पर शासन करने वाले विजय सिंह के वंशज सांचोर कहलाये | सांचोरा चौहानों की 2 अन्य खापे हे - बणीदासोत ,सहसमलोत .नरसिंहदासोत ,तेजमालोत ,सखरावत,हरथावत आदी | सांचोर ( जालोर ) क्षेत्र में सान्चोरा चौहानों के बड़े छोटे कई ठिकाने हे |


काँपलिया चौहान :- सांचोर के विजय सिंह के वंशज काँपलिया गाँव में निवास करने के कारन कहलाये | काँपलिया चौहानों में कुम्भा बड़ा वीर राजपूत था | कुम्भा का इलाका कुम्भाछत्रा कहलाता था | कुम्भाछत्रा क्षेत्र सांचोर और इडर इलाके में था |


निर्वाण चौहान :- चौहानों की ऐक खाप निर्वाण है | इस खाप का नाम निर्वाण केसे हुआ ? निर्वाण वंश प्रकाश के लेखक देवसिंह ने लिखा हे की नाडोल के आसराव ( अश्वराज ) के चार पुत्र माणकराव ,आल्हण ,मोकल व् नरदेव हुए | नरदेव को निर्वाण कहलाये | परन्तु लेखक ने इसका कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है | नेणसी ऋ ख्यात भी नरदेव का अस्तित्व स्वीकार नहीं करती | बाँकीदास अपनी ख्यात में लिखते हे - ''देवड़ो निर्बान जिणरे वंस रा निर्बान कहावे ''मालूम पड़ता हे की देवड़ा चौहानों का उल्लेख मिलता हे | '' जोड़ चढ्या गज केसरी कछ्वाह कहूँ निर्बान '' इससे जाना जाता हे की निर्वाण चौहानों की प्राचीन खाप हे | देवड़ो का इतिहास के अध्ययन से नरदेव ( निर्बान ) के पूर्व पुरुष नाडोल के लक्षमण से इस प्रकार जुड़ता हे -- लाखन ,आसराज ,नरदेव ( निर्वाण ) यही से निर्वाण खाप देवड़ा से अलग होती हे | नरदेव ( निर्वाण ) ने 1141 वि. में कुंवरसी डाहलिया से किरोडी ,खंडेला ( शेखावटी) का क्षेत्र जीता और निर्वाण राज्य की नींव डाली | निर्वानो ने इस क्षेत्र पर लगभग 500 वर्षों तक शासन किया | निर्वाण वीर व् स्वतंत्रता प्रेमी रहे | इन्होने राजस्थान में अनेक युद्ध में भाग लिया | राव जोधराज ,विसलदेव ,दलपत ,पिथोरा ,राजमल ,न्रासिंदेव व् रणमल आदी खंडेडेला के प्रसिद्द शासक हुए | खंडेला राजा पीपा से रायसल शेखावत ने वि. सं. 1625 में छीन लिया फिर भी 1638 वि. तक वे बराबर आपने राज्य के लिए लड़ते रहे | पीपाजी के वंशजों ने उ.पी में छोटा सा राज्य स्थापित किया | आज भी गाजियाबाद के आसपास कई गाँव निर्वाण चौहानों के हे | सेखावटी ( राजस्थान ) के बहुत से गाँवो में निर्वाण चौहान निवास करते हे | खेतड़ी ,बबाई,पपुरना का क्षेत्र निर्वाण पट्टी के नाम से जाना जाता हे |


बागड़ीया चौहान :- इनके प्रसंग में नेणसी ने लिखा हे की जिंदराव के बाद क्रमशः आसराव ,सोहड़ ,मूध,हापो,महिपो,पतो ,देव सहराव ,मूधपाल ,विलदे,बरसिधदे ,भोजो ,बालो व् डूंगरसी हुए | डूंगरसी को राना सांगा ने बधनोर की जागीरी दी | बांसवाडा राज्य के इतिहास में ओझाजी लिखते हे नाडोल के चौहानों में आसराज का वंशधर मूधपाल बागड़ से चला गया | उसके पीछे कुछ पीढ़ी बाद बाला का पुत्र डूंगरसी वीर राजपूत हुआ | महाराणा सांगा ने उसकी वीरता के कारन बदनोर की जागीरी दी | नाडोल के राजा आसराज ( अश्वराज ) के वंशजों में मूधपाल बागड़ में चला गया | डूंगरपुर की नोलखा बावड़ी में लगे बागड़ीयों चौहानों के शिलालेख में वि. 1643 जो वंशक्रम दिया हे इस प्रकार ;-
लाखन ,आसराज ,सोमसेही, महणदास ,भोजदे ,गुहड़दे ,आलणसी ,बाहड़दे ,भाण,नरबदास,गजसी,देदु ,कुतल,सीहड़ ,मूधपाल,बैरसल ,हरराज ,बरसिदे,पाता,बालू ,डूंगरसिंह व् हाथीसिंह | शिलालेख में बागड़ीया चोहानो का सम्बन्ध लाखन के पुत्र आसराज से जुड़ता हे | अतः नेणसी का जींदराव के पुत्र आसराज ( नाडोल ) से वंशक्रम जोड़ना सही नहीं हे | लाखन के पुत्र आसराज के वंशज मूधपाल डूंगरपुर क्षेत्र से आये | डूंगरपुर -बाँसवाड़ा क्षेत्र को बागड़ कहा जाता हे | अतः बागड़ परदेश में रहने वाले मूधपाल के वंशधर बाघड़ीया चौहानों के नाम से प्रसिद्द हुए | मूघपाल के बैरराज ,हरराज वलाजी तीन पुत्र थे | बैरराज के वंशधरों का ठिकाना भवराना ( उदैपुर ) हरराज के वंशजों के गोरगाँव बनकोड़ा और गढ़ी रहे | लालसिंह के वंशज गुजरात चले गए |
बाग़ड़ीया चौहान मेवाड़ क्षेत्र में अपनी वीरता के लिए प्रसिद्द रहे | मूधपाल के वंशज डूंगरसिंह ने अपनी वीरता के कारन मेवाड़ में राना सांगा से बदनेर की जागीर प्राप्त की | वि .सं .1577 में महाराना सांगा ने ईडर के राठोड़ रायमल की सहायता की उस समय सेना भेजी जब गुजरात सुल्तान की तरह से मलिक हुसेन बहमनी ईडर पर चढ़ आया था | उस समय हुए युद्ध में डूंगर सिंह के पुत्र कान्हसिंह ने अहमदनगर के किले का दरवाजा तोड़ने का अद्भुद साहस दिखाया था | किवाड़ों में लगे तीक्ष्ण भालों से जब हाथी के किवाड़ों के टक्कर दी ,किवाड़ टूट गए | पर कान्ह सिंह तीक्षण भालों से छिद गए और म्रत्यु को प्राप्त हुए | महाराणा आसकरण बांसवाडा के समय मानसिंह बागड़ीया चौहान स्वामी बन बेठा था |बहुत समझाने पर बड़ी मुश्किल से बांसवाडा की गद्धी छोड़ी | बहादुर शाह ने विक्रमादित्य के समय जब चितोड़ पर आक्रमण किया तब डूंगरसिंह के पुत्र लालसिंह ने वीरता प्रदर्शित की और म्रत्यु को प्राप्त हुए | डूंगर सिंह राज्य में बनकोड़ा ,पीठ मांडव ,ठाकरड़ा ,चीतरी ,सैलमवाड़ा ,लोडावल ,आदी इनके ठिकाने तथा बांसवाडा राज्य में गढ़ी ,मेतवाला,गनोडा ,खेड़ा ,रोहणीया ,नयागाँव ,मोर आदी बगड़ीया चौहानों के आदी ठिकाने थे |
डूंगरसी ( बदनोर) के छोटे भाई हाथीसिंह के वंशज हाथीयोत बागड़ीया चौहान कहलाये |अर्थुणा इनका मुख्या ठिकाना था |






सम्बन्धित प्रश्न



Comments Laxman singh chouhan on 29-09-2022

1800-1850 तक झाब गाव साचौर मे साचौरा चौहान जुंजारसिह /नेतसिह के प्रवेश बारे मे जानकारी दो

Kuldeep Singh on 22-08-2022

Kiya Vasudav Ji Se lekar Sanchora Chauhan tak koi Vanshavali Uplabdh hai

Sanchor chohan on 19-05-2022

Sanchor chohan kese muslim bane


Chandan on 14-01-2022

Sawner rajput culture

Kuldeep Singh on 17-05-2021

Mahakaran Ji Kon the

Gautam vaishnav parawa on 14-02-2021

परावा गांव का इतिहास क्या है
परावा किस कि जागीरी है
परावा सांचौर जालौर का छोटा सा गांव है

Harsh vardhan singh on 20-07-2020

Kya apke pas sanchora chauhan ka logo he?


Digpalsingh chauhan on 02-07-2020

चौहानों की पूरी वंशावली की पुस्तक है क्या



Narendra Singh on 07-06-2020

Ranodar gaav ke baare me kuch knowlege h kya aapko



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