Nagariy Pratiroop नगरीय प्रतिरूप

नगरीय प्रतिरूप



GkExams on 25-04-2022


नगरीय प्रतिरूप : जैसा की हम सब जानते है नगर मिश्रित मकानों अथवा इमारतों का एक समूह होता है। और इसी में ही निम्न, मध्यम एवं उच्च आय वर्गों के निवास-स्थान, वाणिज्य क्षेत्र, कारखाने, शिक्षा, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, मनोरंजन, परिवहन, व्यापारिक तथा व्यावसायिक कार्य विकसित होते हैं, ये ही नगरीय प्रतिरूप है।


नगरीय समुदाय की विशेषतायें :


यहाँ हम निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा आपको नगरीय समुदाय की विशेषताओं से अवगत करा रहे है, जो इस प्रकार है...


जनसंख्या का अधिक घनत्व :


रोजगार की तलाश में गाँव से शिक्षित एंवअशिक्षित बेरोजगार व्यक्ति शहर में आते हैं। जनसंख्या वृद्धि के कारण आज सीमितजमीन में लोंगो को जीवन निवार्ह करना कठिन पड़ रहा है।

विभिन्न संस्कृतियों का केन्द्र :


कोर्इ नगर किसी एक विशेष संस्कृति के जनसमुदाय के लिये अशिक्षित नहीं होता। इसलिये देश के विभिन्न गाँवो से लोग नगरमें आते हैं और वहीं बस जाते है। ये लोग विभिन्न रीति रिवाजों में विश्वास करते हैंतथा उन्हें मानते हैं।

औपचारिक सम्बन्ध :


नगरीय समुदाय में औपचारिक सम्बन्ध का बाहुल्य होताहै। देखा जाता है कि सदस्यों का व्यस्त जीवन आपसी सम्बन्ध औपचारिक होताहै।

अन्ध विश्वासों में कमी :


नगरीय समुदाय में विकास के साधन एवं सुविधाओंकी उपल्ब्धता के साथ-साथ यहां शिक्षा और सामाजिक बोध ग्रामीण समुदाय सेअधिक पाया जाता है। अतएव स्पष्ट है कि यहां के लोगो का पुराने अन्धविश्वासोंएंव रुढ़ियों में कम विश्वास होगा।

आवास की समस्या :


आप विभिन्न कार्यकारी योजनाओं के बावजूद भी बड़े-बड़े नगरों मे आवास की समस्या अति गम्भीर होती जा रही हैं। अनेक गरीबएवं कमजोर लोग अपनी रातें सड़क की पटिटयों, बस अड्डे और रेलवे स्टेशनों परव्यतीत करते हैं। अधिकाधिक मध्यमवर्गीय व्यक्तियों के पास औसतन केवल एक यादो कमरे के मकान होते हैं। कारखाने वाले नगरों में नौकरी की तलाश में श्रमिकोंकी संख्या बढ़ जाती है। जिसके कारण उनके रहने के लिये उपयुक्त स्थान नहींमिल पाता है और झुग्गी झोपडी जैसी बस्तियां बढ़ने लगती हैं।

वर्ग अतिवाद :


नगरीय समुदय में धनियों के धनी और गरीबों में गरीब वर्ग केलोग पाये जाते हैं अर्थात यहाँ भव्य कोठियों के रहने वाले, ऐश्वर्यपूर्ण जीवन व्यतीतकरने वाले तथा दूसरे तरफ मकानों के आभाव में गरीब एवं कमजोर सड़क कीपटरियों पर सोने वाले, भरपेट भोजन न नसीब होने वाले लोग भी निवास करते हैं।

श्रम विभाजन :


नगरीय समुदाय में अनेक व्यवसाय वाले लोग होते हैं। जहाँग्रामीण समुदाय में अधिकाधिक लोगों का जीवन कृशि एव उससे सम्बन्धित कार्यो परनिर्भर होता है वहीं दूसरी तरफ नगरीय समुदाय में व्यापार-व्यवसाय, नौकरी,अध्ययन् आदि पर लोगो का जीवन निर्भर करता है।

एकाकी परिवार की महत्ता :


नगरीय समुदाय में उच्च जीवन स्तर की आकांक्षाके फलस्वरूप संयुक्त परिवार की जिम्मेदारियाँ वहन करना कठिनतम साबित होताहै। अतएव शहरी समुदाय में एकाकी परिवार का बाहुल्य होता है। इन परिवार मेंलगभग स्त्री एवं पुरूशों की स्थिति में समानता पायी जाती है।

धार्मिक लगाव की कमी :


शहरी जीवन में व्याप्त शिक्षा एवं भौतिकवाद उन्हेंधार्मिक पूजा-पाठ एवं अन्य सम्बन्धित कर्म काण्डों से दूर कर देते हैं इसलिये यहाँधर्म को कम महत्व दिया जाता है।

सामाजिक गतिशीलता :


शहरी जीवन में अत्यधिक गतिशीलता पायी जाती है।जहाँ गाँव का जीवन एक शांत समुद्र की तरह होता है। वहीं शहर का जीवनउबाल खाते पानी की तरह होता है।

राजनैतिक लगाव :


नगरीय जीवन की बढ़ती शिक्षा, गतिशीलता एवं परिवर्तितसभ्यता राजनैतिक क्षेत्र में लेागों की रूचि बढ़ा देती है। इनको अपने अधिकारोंकर्तव्यों एवं राजनैतिक गतिविधि का ज्ञान होने लगता है और इससे राजनैतिक क्षेत्रमें झुकाव बढ़ जाता है।




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