पांचवी अनुसूची के क्षेत्र
संविधान के अनुच्छेद 244 (1) में, ‘अनुसूचित क्षेत्र’ अभिव्यक्ति का अर्थ है ऐसे क्षेत्र जो राष्ट्रपति आदेश द्वारा अनुसूचित क्षेत्रों के रुप में घोषित करे ।
राष्ट्रपति किसी भी समय आदेश द्वारा (क) निदेश दे सकेगा कि संपूर्ण अनुसूचित क्षेत्र अथवा उसका कोई निर्दिष्ट भाग अनूसूचित क्षेत्र नहीं रहेगा अथवा ऐसे क्षेत्र का कोई भाग अनुसूचित क्षेत्र नहीं रहेगा (ख) उस राज्य के राज्यपाल के साथ परामर्श करके राज्य में किसी अनुसूचित क्षेत्र के आकार में वृद्धि कर सकेगा (ग) केवल सीमाओं के समाधान के माध्यम से ही किसी अनुसूचित क्षेत्र में परिवर्तन कर सकेगा (घ) संघ में शामिल होने पर अथवा नए राज्य की स्थापना पर किसी राज्य की सीमाओं में कोई परिवर्तन किए जाने पर, यह घोषित कर सकेगा कि किसी राज्य में पूर्व में शामिल नहीं किया गया कोई राज्य-क्षेत्र अनुसूचित क्षेत्र है अथवा उसका कोई भाग है (ड.) किसी राज्य अथवा राज्यों के संदर्भ में, इन उपबंधों के अंतर्गत किए गए किसी आदेश अथवा आदेशों को संबंधित राज्य के राज्यपाल के साथ परामर्श करके निरस्त कर सकेगा, उन क्षेत्रों को जिन्हें अनुसूचित क्षेत्र बनाया जाता है, को पुनर्परिभाषित करते हुए नए आदेश कर सकेगा ।
अनुसूचित क्षेत्र घोषित करने के लिए मानदण्ड
किसी क्षेत्र को अनुसूचित क्षेत्र घोषित करने के लिए अनुपालन किए जाने वाले मानदण्ड हैं: (क) जनजातीय जनसंख्या की बहुलता (ख) क्षेत्र की सघनता और युक्तियुक्त आकार (ग) क्षेत्र की अल्प-विकसित प्रकृति और (घ) लोगों के आर्थिक स्तर में सुस्पष्ट असमानता । ये मानदण्ड भारत के संविधान में वर्णित नहीं किए गए हैं परंतु ये अत्यंत सुस्थापित बन गए हैं । ये भारत सरकार अधिनियम, 1935 के अंतर्गत ‘निकाले गए और आंशिक रुप से निकाले गए क्षेत्रों को घोषित करने के लिए पालन किए जाने वाले सिद्धांतों, संविधान सभा की निकाले गए और आंशिक रुप से निकाले गए क्षेत्रों संबंधी समिति की अनुसूचित ‘ख’ तथा अनुसूचित क्षेत्र और अनुसूचित जनजाति आयोग 1961 के उपबंधों को निहित करते हैं’ ।
पांचवीं अनुसूची के क्षेत्रों के लिए विशेष उपबंध :
अनुसूचित क्षेत्र (एसए) वाले प्रत्येक राज्य का राज्यपाल वार्षिक रुप से अथवा जब कभी राष्ट्रपति द्वारा ऐसी अपेक्षा की जाए, उस राज्य में अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन के बारे में राष्ट्रपति को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा ।
संघ सरकार को अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन के संबंध में राज्यों को अनुदेश जारी करने की कार्यकारी शक्तियां प्राप्त होंगी ।
पांचवी अनूसूची का पैरा 4 अनुसूचित क्षेत्र वाले किसी राज्य में जनजाति सलाहकार परिषद (टीएसी) की स्थापना करने का उपबंध करता है । यदि राष्ट्रपति ऐसी इच्छा व्यक्त करते हैं, तो अनुसूचित जनजातिय वाले किसी राज्य में, चाहे उसमें अनुसूचित क्षेत्र न भी हों, एक टीएसी स्थापित की जाएगी जिसमें बीस से अधिक सदस्य होंगे, जिनमें से तीन-चौथाई सदस्य राज्य की विधान सभा में अनुसूचित जनजातियों का प्रतिनिधित्व करने वाले होंगे । यदि उस राज्य की विधान सभा में अनुसूचित जनजातियों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिनिधियों की संख्या टीएसी में ऐसे प्रतिनिधियों द्वारा भरे जाने वाले स्थानों की संख्या की तुलना में कम हो, तो शेष स्थानों को ऐसी जनजातियों के अन्य सदस्यों द्वारा भरा जाएगा ।
टीएसी ऐसे मामलों पर परामर्श देगी जो राज्य में अनुसूचित जनजातियों के कल्याण और संवर्धन से संबंधित हों, जैसाकि उन्हें राज्यपाल द्वारा निर्दिष्ट किया जाए ।
राज्यपाल इन मदों को विनिर्दिष्ट करने अथवा विनियमित करने के लिए नियम बना सकेगा (क) परिषद के सदस्यों की संख्या, उनकी नियुक्ति तथा परिषद के अध्यक्ष और उसके राज्य अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति का तरीका, (ख) उसकी बैठकों का संचालन तथा सामान्यत: उसकी प्रक्रिया और (ग) अन्य सभी आनुषंगिक मामले ।
राज्यपाल, सार्वजनिक अधिसूचना द्वारा, यह निदेश दे सकेगा कि संसद के किसी विशेष अधिनियम अथवा राज्य के किसी विधान के उपबंध किसी अनुसूचित क्षेत्र पर अथवा राज्य में उसके किसी भाग पर, ऐसे अपवादों और आशोधनों के अध्यधीन लागू होंगे अथवा लागू नहीं होंगे, विनिर्दिष्ट किए जाएं । राज्यपाल राज्य में किसी ऐसे क्षेत्र, जो उस समय एक अनुसूचित क्षेत्र है, की शांति और बेहतर शासन के लिए विनियम, बना सकेगा । ऐसे विनियम (क) ऐसे क्षेत्र में अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों द्वारा अथवा उनके बीच भूमि के अंतरण को प्रतिषिद्ध अथवा निर्बंधित करेंगे (ख) ऐसे क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों को भूमि के आबंटन को विनियमित करेंगे (ग) ऐसे व्यक्ति द्वारा, जो ऐसे क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति के सदस्यों को धनराशि उधार देता है, साहूकार के रुप में व्यवसाय के संचालन को विनियमित करेंगे ।
ऐसे विनियम बनाते समय, राज्यपाल राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त करने के उपरांत संसद के अथवा राज्य के विधानमंडल के किसी अधिनियम अथवा किसी विद्यमान निधि को निरसित अथवा संशोधित कर सकेगा ।
ऐसा कोई भी विनियम नहीं बनाया जाएगा, जब तक कि, यदि टीएसी विद्यमान है, राज्यपाल ऐसी टीएसी के साथ परामर्श नहीं कर लेता है ।
संविधान की पांचवी अनुसूची का अवलोकन यहां किया जा सकता है ।
पांचवी अनुसूची के क्षेत्र रखने वाले राज्य:
वर्तमान में, 10 राज्यों अर्थात् आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखण्ड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, राजस्थान और तेलंगाना में पांचवी अनुसूची के राज्य हैं ।
पांचवी अनुसूची के क्षेत्र में आने वाले जिलों, खण्डों और ग्राम पंचायतों की पूर्ण सूची का अवलोकन यहां किया जा सकता है ।
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