Pallav Vansh Ka Sansthapak Kaun Tha पल्लव वंश का संस्थापक कौन था

पल्लव वंश का संस्थापक कौन था



GkExams on 08-02-2023


सही उत्तर : सिंहविष्णु


व्याख्या :


पल्लव वंश का संस्थापक (Founder of pallava dynasty) सिंहविष्णु था। सिंहविष्णु का शासनकाल 575- 600 ई. तक था। पल्लव वंश दक्षिण भारत का एक प्रमुख राजवंश था। पल्लव शासकों की राजधानी कांचीपुरम(तमिलनाडु) थी। पल्लव का अर्थ होता है - लता और यह तमिल शब्द टोंडाई का रूपांतरण है जिसका अर्थ भी लता ही होता है। इसलिए इन्हें मूलतः लताओं के प्रदेश का निवासी कहा जाता है।


Pallav-Vansh-Ka-Sansthapak-Kaun-Tha


माना जाता है कि सत्ता में आने से पहले इस वंश का संस्थापक बप्पदेव सातवाहन (pallava dynasty founder) राजा के अधीन एक प्रांतीय शासक थे। ध्यान रहे की इस वंश के शासक अपने आप को क्षत्रिय मानते थे. इस प्रकार दक्षिण भारत का पल्लव वंश भारतीय इतिहास के गौरव की गाथा बयां करता हैं।


जैसा हम सबको पता है पल्लव राजवंश प्राचीन दक्षिण भारत का एक राजवंश था। चौथी शताब्दी में इसने कांचीपुरम में राज्य स्थापित किया और लगभग 600 वर्ष तमिल और तेलुगु क्षेत्र में राज्य किया। इस वंश की राजधानी कांची (pallava dynasty capital) थी और इनकी मुख्य भाषा संस्कृत और तमिल भाषा थी।


पल्लव वंश के शासक :




यहाँ हम आपको निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा पल्लव वंश के शासकों के नामों (pallava dynasty kings names) से अवगत करा रहे है, जो इस प्रकार है...


  • सिंह वर्मन प्रथम या सिंह विष्णु : (575 ईस्वी से 600 ईस्वी तक)
  • महेंद्र वर्मन प्रथम : (600 ईस्वी से 630 ईस्वी तक)
  • नरसिंह वर्मन प्रथम : (630 से 668 ईस्वी तक)
  • महेंद्र वर्मन द्वितीय : (668 से 670 ईस्वी तक)
  • परमेश्वर वर्मन प्रथम : (670 से 695 ईस्वी तक)
  • नरसिंह वर्मन द्वितीय : (695 से 720 ईस्वी तक)
  • परमेश्वर वर्मन द्वितीय : (720 ईस्वी से 730 ईस्वी तक)
  • नंदीवर्मन द्वितीय : (730 से 795 ईस्वी तक)
  • दंतीवर्मन : (796 से 847 ईस्वी तक)
  • नंदी वर्मन तृतीय : (847 से 872 ईस्वी तक)
  • नृपतंग वर्मन : (872 से 882 ईस्वी तक)
  • अपराजित वर्मन : (882 से 897 ईस्वी तक)



  • पल्लव स्थापत्य कला :




    महेन्द्रवर्मन् शैली :


  • इस शैली में मंदिर सादे बने हुए थे।
  • बरामदे स्तम्भयुक्त होते थे।
  • अंदर में दो-तीन कमरे बने हुए थे।
  • इस शैली में स्तंभ एवं मंडप का प्रयोग किया जाता था।



  • मामल्ल शैली या नरसिंहवर्मन् शैली :


  • इस शैली में मंडप एवं रथ का प्रयोग हुआ।
  • वाराहमंदिर, महिषमंदिर, पंचपांडवमंदिर मंडप शैली के उदाहरण हैं।



  • राजसिंह शैली :


  • इस शैली के मंदिरों में ऊंचे शिखर और चपटी छत हैं।
  • मंदिर पतले स्तंभ युक्त, सभा मंडप गलियारा व विमानयुक्त हैं।
  • इस शैली के मन्दिरों में ईंट पत्थर के प्रयोग की प्रथा प्रारंभ की।



  • अपराजित शैली :


  • इस शैली में ऊपर की ओर पतले होते शिखर व गोपुरम का प्रारंभ है।




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