बिजासन Mata Ki Katha बिजासन माता की कथा

बिजासन माता की कथा



Pradeep Chawla on 12-05-2019

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तंत्र, मंत्र शास्त्र की मान्यताओं की मुताबिक पर्वतीय स्थल पर स्थित दैवीय स्थानों में सिद्धियों का आह्वान करने और उन्हें जाग्रत करने का श्रेष्ठ स्थान है। पुरातन तंत्र विद्या पत्रिका चंडी में इंदौर के बिजासन माता मंदिर में विराजमान नौ दैवीय प्रतिमाओं को तंत्र-मंत्र का चमत्कारिक स्थान व सिद्ध पीठ माना गया है।



किसी समय बुंदेलखंड के आल्हा-उदल अपने पिता की हत्या का बदला लेने मांडू के राजा कडांगा राय से लेने यहां आए, तब उन्होंने बबरी वन (बिजासन) में मिट्टी-पत्थर के ओटले पर सज्जित इन सिद्धिदात्री नौ दैवीयों को अनुष्ठान कर प्रसन्न किया और मां का आशीर्वाद प्राप्त किया। तब से देवी को बिजासन माता के नाम से जाना जाता है।



मंदिर के पिछले उतार पर नाहर खोदरा नामक जलाशय है। कहा जाता है कि प्राचीन समय में यहां शेर पानी पीने आता था और देवी मंदिर के नजदीक कुछ देर खड़े रहने के बाद बिना किसी को सताए लौट जाता था।

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इस प्राचीन सिद्धि स्थल पर चबूतरे पर आसीन देवियों को प्रतिष्ठित करने के इरादे से श्रीमंत महाराजा शिवाजीराव होलकर ने जीर्णोद्धार का विचार किया। बुजुर्ग लोग बताते हैं कि माताजी के मंदिर का काम दीवारें बनाने से शुरू हुआ, लेकिन दीवारें रात में गिर जाया करती थीं।

दो-तीन दिन तक किसी ने गौर नहीं किया, लेकिन महाराज जरूर इस अपशकुन से परेशान रहे। तभी सपने में बिजासन माता ने दर्शन देकर इशारा किया कि पहले कोई मनौती मानो और जब मनौती पूरी हो जाए तब मंदिर का निर्माण कराना।



तब महाराज ने पुत्र प्राप्ति की कामना की जब महाराजा तुकोजीराव होलकर तृतीय का जन्म हुआ तब सोने की ईंट रखकर मंदिर का निर्माण आरंभ किया। नवरात्रि के समय देवी पूजन हेतु पूरा राजपरिवार श्रीमंत तुकोजीराव होलकर तृतीय समेत वहां पूजन के लिए बैंडबाजों के साथ उपस्थित होता था।

सुखी दांपत्य जीवन में पुत्र-पुत्रियों का वरदान कई नगरवासियों ने यहां पाया है। वर्तमान में भी नवदंपति यहां पूजा करना अनिवार्य मानते हैं। कई श्रद्धालु आज भी मंदिर में नंगे पैर दर्शन के लिए आते हैं।



किसी समय होलकर रियासत के प्रधानमंत्री (दीवान) रामप्रसाद दुबे, जोमहल खजूरी बाजार (अब भंडारी स्कूल) में रहते थे, उनके भाई दुर्गाप्रसाद होलकर सेना में मेजर थे। अचानक भयानक बीमारी की चपेट में आ गए। उनकी पत्नी ने पति के स्वास्थ्य के लिए बिजासन माता के दरबार में दंडवत करते आने की मन्नत की।

देवी प्रसन्न भी हुई और अब सवाल यह था कि उस जमाने में जब महिलाएं घर से बाहर नहीं निकलती थीं, दीवान साहब की बहू सड़क पर दंडवत करते बिजासन जाएगी तो लोग, समाज क्या कहेगा? आखिर उपाय भी निकल आया। 50-50 औरतें कनात जैसे परदे लेकर खड़ी होतीं और इस क्रम को दोहराते हुए बहुरानी ने मन्नत पूरी की। इस घटना जिक्र मेजर दुर्गाप्रसादजी के पुत्र सुरेन्द्रनाथ दुबे ने 1967 में प्रकाशित गुजरा हुआ जमाना में किया है।

भक्तों की मान्यता है कि बिना बिजासन माता के दर्शन किए नवरात्रि पर्व अधूरा है। सो यहां नवरात्रि में भक्तों का सैलाब उमड़ता है।




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Comments JMD bijasan indargarh on 22-06-2023

Sabse badi bijasan Mata indergarh

Dusri rambai jo ramgarh me h

Tisri gubabbai jo dugargarh me h .or name janne ke liye YouTube pr JMD bijasan indargarh channel pr dekhi

Mata ki beti on 16-03-2023

Jai mata di berapar kro ma...

Jmd on 30-01-2023

JMD bijasan indargarh channel ko subscribe kro


Arjun on 20-10-2022

Bolo bijasen maiya ki jayyy
Jaykara sherowali ka bolo sache darbar ki jay

Vijayasan Mata Kiska Avtar H Mata Paarvati Ka on 27-07-2022

Nice

vijay kumar on 04-01-2022

bijasan mata ka mandir kanha par hai

Amit sahu on 08-12-2021

Jay mata di


Saurabh goswami on 06-08-2021

Beejasen mata ki 9 bahino ke nam batao



Vijayasan Mata Kiska Avtar H Mata Paarvati Ka on 14-06-2020

Jai Mata Di

Jagdev kachhava on 08-08-2020

Man Bijasan ki Mannat Puri karne mein क्या-क्या samagri Lagti Hai

JMD bijasan indargarh on 26-04-2021

Bijasan Mata ka mandir indargarh me hai jo bundi district, rajasthan jai hai



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