-संसदीय समिति गठित करने के सामान्य नियम Gk ebooks


Rajesh Kumar at  2018-08-27  at 09:30 PM
विषय सूची: संसदीय समिति गठित करने के सामान्य नियम >> संसदीय समिति गठित करने के सामान्य नियम >> संसदीय समिति गठित करने के सामान्य नियम >>> संसदीय समिति गठित करने के सामान्य नियम


समितियों की प्रक्रिया


( क ) सामान्य



२०० - सदन की समितियों की नियुक्ति -

( १ ) प्रत्येक साधारण निर्वाचन के उपरान्त प्रथम सत्र के प्रारम्भ होने पर और तदुपरान्त प्रत्येक वित्तीय वर्ष के पूर्व या समय - समय पर जब कभी अन्यथा अवसर उत्पन्न हो , विभिन्न समितियां विशिष्ट या सामान्य प्रयोजनों के लिये सदन द्वारा निर्वाचित या निर्मित की जायेंगी या अध्यक्ष द्वारा नाम - निर्देशित होंगी

परन्तु कोई सदस्य किसी समिति में तब तक नियुक्त नहीं किये जायेंगे जब तक कि वे उस समिति में कार्य करने के लिये सहमत न हों .

( २ ) समिति में आकस्मिक रिक्तिताओं की पूर्ति , यथास्थिति , सदन द्वारा निर्वाचन या नियुक्ति अथवा अध्यक्ष द्वारा नाम - निर्देशन करके की जायेगी और जो सदस्य ऐसी रिक्तिताओं की पूर्ति के लिये निर्वाचित , नियुक्त और नाम - निर्देशित हों उस कालावधि के असमाप्त भाग तक पद धारण करेंगे जिसके लिये वह सदस्य जिसके स्थान पर वे निर्वाचित , नियुक्त अथवा नाम - निर्देशित किये गये हैं , पद धारण करते

परन्तु समिति की कार्यवाही इस आधार पर न अनियमित होगी और न रूकेगी कि आकस्मिक रिक्तिताओं की पूर्ति नहीं की गयी है .




२०० - क - समिति की सदस्यता पर आपत्ति -

जब किसी सदस्य के किसी समिति में सम्मिलित किये जाने पर , इस आधार पर आपत्ति की जाय कि उस सदस्य का ऐसे घनिष्ट प्रकार का वैयक्तिक , आर्थिक या प्रत्यक्ष हित है कि उससे समिति विचारणीय विषयों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है , तो प्रक्रिया निम्नलिखित होगी -

( क ) जिस सदस्य ने आपत्ति की हो वह अपनी आपत्ति का आधार तथा समिति के सामने आने वाले विषयों में प्रस्थापित सदस्य के आरोपित हित के स्वरूप का , चाहे वह वैयक्तिक , आर्थिक या प्रत्यक्ष हो , सुतथ्यतया कथन करेगा ,

( ख ) आपत्ति का कथन किये जाने के बाद , अध्यक्ष समिति के लिये प्रस्थापित सदस्य को जिसके विरूद्व आपत्ति की गयी हो , स्थिति बताने के लिये अवसर देगा ,

( ग ) यदि तथ्यों के सम्बन्ध में विवाद हो तो अध्यक्ष आपत्ति करने वाले सदस्य तथा उस सदस्य से जिसकी समिति में नियुक्ति के विरूद्व आपत्ति की गयी हो , अपने - अपने मामले को समर्थन में लिखित या अन्य साक्ष्य पेश करने के लिये कह सकेगा ,

( घ ) जब अध्यक्ष ने अपने समक्ष इस तरह दिये गये साक्ष्य पर विचार कर लिया हो , तो उसके बाद वह अपना विनिश्चिय देगा जो अन्तिम होगा ,

( ङ ) जब तक अध्यक्ष ने अपना विनिश्चय न दिया हो , वह सदस्य जिसकी समिति में नियुक्ति के विरूद्व आपत्ति की गयी हो समिति का सदस्य बना रहेगा , यदि वह निर्वाचित या नाम - निर्देशित हो गया हो , और चर्चा में भाग लेगा किन्तु उसे मत देने का हक नहीं होगा , और

( च ) यदि अध्यक्ष यह विनिश्चय करें कि जिस सदस्य की नियुक्ति के विरूद्व आपत्ति की गयी है उसका समिति के समक्ष विचाराधीन विषय में कोई वैयक्तिक , आर्थिक या प्रत्यक्ष हित है , तो उसकी समिति की सदस्यता तुरन्त समाप्त हो जायगी

परन्तु समिति की जिन बैठकों में ऐसा सदस्य उपस्थित था उनकी कार्यवाही अध्यक्ष के विनिश्चय द्वारा किसी तरह प्रभावित नहीं होगी .

व्याख्या - इस नियम के प्रयोजनों के लिये सदस्य का हित प्रत्यक्ष , वैयक्तिक या आर्थिक होना चाहिए और वह हित जन साधारण या उसके किसी वर्ग या भाग के साथ सम्मिलित रूप में या राज्य की नीति को किसी विषय में न होकर उस व्यक्ति का , जिसके मत पर आपत्ति की जाय , पृथक रूप से होना चाहिये .




२०१ - समिति का सभापति -

( १ ) प्रत्येक समिति का सभापति अध्यक्ष द्वारा समिति के सदस्यों में से नियुक्त किया जायेगा

परन्तु यदि उपाध्यक्ष समिति के सदस्य हों तो वे समिति के पदेन सभापति होंगे .

( २ ) यदि सभापति किसी कारण से कार्य करने में असमर्थ हों अथवा उनका पद रिक्त हो तो अध्यक्ष उनके स्थान में अन्य सभापति नियुक्त कर सकेंगे .

( ३ ) यदि समिति के सभापति समिति के किसी उपवेशन से अनुपस्थित हों तो समिति किसी अन्य सदस्य को उस बैठक के सभापति का कार्य करने के लिये निर्वाचित करेगी .




२०२ - गणपूर्ति -

( १ ) किसी समिति का उपवेशन गठित करने के लिये गणपूर्ति समिति के कुल सदस्यों की संख्या से तृतीयांश से अन्यून होगी जब तक कि इन नियमों में अन्यथा उपबन्धित न हो .

( २ ) समिति के उपवेशन के लिये निर्धारित किसी समय पर या उपवेशन के दौरान किसी समय पर यदि गणपूर्ति न हो तो सभापति उपवेशन को आधे घण्टे के लिए स्थगित कर देंगे और पुनः समवेत होने पर उपवेशन के लिये गणपूर्ति कुल सदस्यों की संख्या की पंचमांश से अन्यून होगी . यदि पुनः समवेत उपवेशन में उपस्थित सदस्यों की संख्या समिति की कुल सदस्य संख्या के पंचमांश से भी न्यून रहे तो उपवेशन को किसी भावी तिथि के लिये स्थगित कर दिया जायेगा .

( ३ ) जब समिति उप नियम ( २ ) के अन्तर्गत समिति के उपवेशन के लिये निर्धारित दो लगातार दिनांकों पर स्थगित हो चुकी हो तो सभापति इस तथ्य को सदन को प्रतिवेदित करेंगे

परन्तु जब समिति अध्यक्ष द्वारा नियुक्त की गई हो तो सभापति स्थगन के तथ्य को अध्यक्ष को प्रतिवेदित करेंगे .

( ४ ) ऐसा प्रतिवेदन किये जाने पर , यथास्थिति , सदन या अध्यक्ष यह विनिश्चित करेंगे कि आगे क्या कार्यवाही की जाय .




२०३ - समिति के उपवेशनों से अनुपस्थित सदस्यों को हटाया जाना तथा उनके स्थान की पूर्ति -

( १ ) यदि कोई सदस्य किसी समिति के लगातार ३ उपवेशनों से सभापति की अनुज्ञा के बिना अनुपस्थित रहे तो ऐसे सदस्य को स्पष्टीकरण देने का अवसर देने के उपरान्त उस समिति से उनकी सदस्यता अध्यक्ष की आज्ञा से समाप्त की जा सकेंगी , और समिति में उनका स्थान अध्यक्ष की ऐसी आज्ञा के दिनांक से रिक्त घोषित किया जा सकेगा .

( २ ) नियम २०० के उप नियम ( २ ) में किसी बात के होते हुए भी उप नियम ( १ ) के अन्तर्गत रिक्त स्थान की पूर्ति , अध्यक्ष द्वारा किसी अन्य सदस्य को नाम - निर्देशित करके की जा सकेगी .

प्रथम - स्पष्टीकरण - इस नियम के अधीन उपवेशनों की गणना हेतु लखनऊ से बाहर आयोजित उपवेशनों को सम्मिलित नहीं किया जायेगा .

द्वितीय - स्पष्टीकरण - यदि कोई सदस्य समिति के उपवेशन में भाग लेने हेतु लखनऊ आये हों , किन्तु उपवेशन में भाग न ले सके हों और लखनऊ आने की लिखित सूचना वह प्रमुख सचिव को उपवेशन की तिथि को ही उपलब्ध करा दें , तो इस नियम के प्रयोजन के लिये उन्हें उक्त तिथि को अनुपस्थित नहीं समझा जायेगा .




२०४ - सदस्य का त्याग - पत्र -

कोई सदस्य समिति में अपने स्थान को स्वहस्तलिखित पत्र द्वारा जो अध्यक्ष को सम्बोधित होगा , त्याग सकेंगे .




२०५ - समिति की पदावधि -

इनमें से प्रत्येक समिति के सदस्यों की पदावधि एक वित्तीय वर्ष होगी

परन्तु इन नियमों के अन्तर्गत निर्वाचित या नाम - निर्देशित समितियां , जब तक विशेष रूप से अन्यथा निर्दिष्ट न किया जाय , उस समय तक पद धारण करेंगी जब तक कि नई समिति नियुक्त न हो जाय .




२०६ - समिति में मतदान -

समिति के किसी उपवेशन में समस्त प्रश्नों का निर्धारण उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के मताधिक्य से होगा . किसी विषय में मत साम्य होने की दशा में सभापति का दूसरा या निर्णायक मत होगा .




२०७ - उप - समितियां नियुक्त करने की शक्ति -

( १ ) इन नियमों के अन्तर्गत इनमें से कोई भी समिति किन्हीं ऐसे विषयों की जो उसे निर्दिष्ट किये जायं , जांच करने के लिये एक या अधिक उप समितियां नियुक्त कर सकेगी जिनमें से प्रत्येक को अविभक्त समिति की शक्तियां प्राप्त होंगी और ऐसी उप - समितियों के प्रतिवेदन सम्पूर्ण समिति के प्रतिवेदन समझे जायेंगे , यदि वे सम्पूर्ण समिति के किसी उपवेशन में अनुमोदित हो जायं .

( २ ) उप - समिति के निर्देश - पत्र में अनुसंधान के लिये विषय या विषयों का स्पष्टतया उल्लेख होगा . उप - समिति के प्रतिवेदन पर सम्पूर्ण समिति द्वारा विचार किया जायेगा .




२०८ - समिति के उपवेशन -

समिति के उपवेशन ऐसे समय और दिन में होंगे जो समिति के सभापति द्वारा निर्धारित किया जाय

परन्तु यदि समिति का सभापति सुगमतया उपलब्ध न हो अथवा उनका पद रिक्त हो हो तो प्रमुख सचिव उपवेशन का दिन और समय निर्धारित कर सकेंगे .




२०९ - समिति के उपवेशन उस समय हो सकेंगे जब सदन का उपवेशन हो रहा हो -

समिति के उपवेशन उस समय हो सकेंगे जब सदन का उपवेशन हो रहा हो

परन्तु सदन में विभाजन की मांग होने पर समिति के सभापति समिति की कायर्वाहियों को ऐसे समय तक के लिये निलम्बित कर सकेंगे जो उनकी राय में सदस्यों को विभाजन में मतदान करने का अवसर दे सकें .




२१० - उपवेशनों का स्थान -

समिति के उपवेशन , विधान भवन , लखनऊ में किये जायेंगे और यदि यह आवश्यक हो जाय कि उपवेशन का स्थान विधान भवन के बाहर परिवर्तित किया जाय तो यह मामला अध्यक्ष को निर्दिष्ट किया जायगा जिनका विनिश्चय अन्तिम होगा .




२११ - साक्ष्य लेने व पत्र - अभिलेख अथवा दस्तावेज मांगने की शक्ति -

( १ ) किसी साक्षी को प्रमुख सचिव के हस्ताक्षरित आदेश द्वारा आहूत किया जा सकेगा और वह ऐसे दस्तावेजों को पेश करेगा जो समिति के उपयोग के लिये आवश्यक हों .

( २ ) यह समिति के स्वविवेक में होगा कि वह अपने समक्ष दिये गये किसी साक्ष्य को गुप्त या गोपनीय समझे .

( ३ ) समिति के समक्ष रखा गया कोई दस्तावेज समिति के ज्ञान और अनुमोदन के बिना न तो वापस लिया जायेगा और न उसमें रूपान्तर किया जायेगा .

( ४ ) समिति को शपथ पर साक्ष्य लेने और व्यक्तियों को उपस्थित कराने , पत्रों या अभिलेखों के उपस्थापन की अपेक्षा करने की शक्ति होगी , यदि उसके कतर्व्यों का पालन करने के लिए ऐसा करना आवश्यक समझा जायः

परन्तु शासन किसी दस्तावेज को पेश करने से इस आधार पर इन्कार कर सकेगा कि उसका प्रकट किया जाना राज्य के हित तथा सुरक्षा के प्रतिकूल होगा .

( ५ ) समिति के समक्ष दिया गया समस्त साक्ष्य तब तक गुप्त एवं गोपनीय समझा जायेगा जब तक समिति का प्रतिवेदन सदन में उपस्थित न कर दिया जाय

परन्तु यह समिति के स्वविवेक में होगा कि वह किसी साक्ष्य को गुप्त एवं गोपनीय समझे , जिस दशा में वह प्रतिवेदन का अंश नहीं बनेगा .




२१२ - पक्ष या साक्षी समिति के समक्ष उपस्थित होने के लिये अधिवक्ता नियुक्त कर सकता है -

समिति किसी पक्ष का प्रतिनिधित्व उसके द्वारा नियुक्त तथा समिति द्वारा अनुमोदित अधिवक्ता से कराये जाने की अनुमति दे सकेगी . इसी प्रकार कोई साक्षी समिति के समक्ष अपने द्वारा नियुक्त तथा समिति द्वारा अनुमोदित अधिवक्ता के साथ उपस्थित हो सकेगा .




२१३ - साक्षियों की जांच की प्रक्रिया -

समिति के सामने साक्षियों की जाँच निम्न प्रकार से की जायेगी

( १ ) समिति किसी साक्षी को जाँच के लिये बुलाये जाने से पूर्व उस प्रक्रिया की रीति को तथा ऐसे प्रश्नों के स्वरूप को विनिश्चित करेगी जो साक्षी से पूछे जा सकें .

( २ ) समिति के सभापति , इस नियम के उप नियम ( १ ) में उल्लिखित प्रक्रिया के अनुसार साक्षी से पहले ऐसा प्रश्न या ऐसे प्रश्न पूछ सकेंगे जो वह विषय या तत्संबंधी किसी विषय के संबंध में आवश्यक समझें .

( ३ ) सभापति समिति के अन्य सदस्यों को एक - एक करके कोई अन्य प्रश्न पूछने के लिये कह सकेंगे .

( ४ ) साक्षी को समिति के सामने कोई ऐसी अन्य संगत बात रखने को कहा जा सकेगा जो पहले न आ चुका हो और जिन्हें साक्षी समिति के सामने रखना आवश्यक समझता हो .

( ५ ) जब किसी साक्षी को साक्ष्य देने के लिये आहूत किया जाय तो समिति की कार्यवाही का शब्दशः अभिलेख रखा जायेगा .

( ६ ) समिति के सामने दिया गया साक्ष्य समिति के सभी सदस्यों को उपलब्ध किया जा सकेगा .




२१४ - समिति के प्रतिवेदन पर हस्ताक्षर -

समिति के प्रतिवेदन पर समिति की ओर से सभापति द्वारा हस्ताक्षर किये जायेंगे

परन्तु यदि सभापति अनुपस्थित हों या सुगमतया न मिल सकते हों तो समिति की ओर से प्रतिवेदन पर हस्ताक्षर करने के लिये समिति कोई अन्य सदस्य चुनेगी .




२१५ - उपस्थापन के पूर्व प्रतिवेदन का शासन को उपलब्ध किया जाना

समिति , यदि वह ठीक समझे , तो वह अपने प्रतिवेदन की प्रतिलिपि को या उसके पूरे किये गये किसी भाग को सदन में उपस्थापित करने से पूर्व शासन को उपलब्ध कर सकेगी . ऐसे प्रतिवेदन जब तक सदन में उपस्थापित नहीं कर दिये जायेंगे तब तक गोपनीय समझे जायेंगे .




२१६ - प्रतिवेदन का उपस्थापन -

( १ ) समिति का प्रतिवेदन समिति के सभापति द्वारा या उस व्यक्ति द्वारा जिसने प्रतिवेदन पर हस्ताक्षर किये हों या समिति के किसी सदस्य द्वारा जो सभापति द्वारा इस प्रकार प्राधिकृत किये गये हों , या सभापति की अनुपस्थिति में या जब वह प्रतिवेदन उपस्थित करने में असमर्थ हों तो समिति द्वारा प्राधिकृत किसी सदस्य द्वारा उपस्थापित किया जायेगा और सदन के पटल पर रख दिया जायेगा .

( २ ) प्रतिवेदन उपस्थित करने में सभापति या उसकी अनुपस्थिति में प्रतिवेदन उपस्थित करने वाले सदस्य यदि कोई अभ्युक्ति करे तो अपने आपको तथ्य के संक्षिप्त कथन तक सीमित रखेंगे या समिति द्वारा की गयी सिफारिशों की ओर सदन का ध्यान आकृष्ट करेंगे .

( ३ ) संबंधित मंत्री या कोई मंत्री उसी दिन या किसी भावी दिनांक को जब तक के लिये वह विषय स्थगित किया गया है , सरकारी दृष्टिकोण और शासन द्वारा किये जाने वाले प्रस्तावित कार्य की व्याख्या करते हुए संक्षिप्त उत्तर दे सकेंगे .

( ४ ) प्रतिवेदन उपस्थित किये जाने के उपरान्त किन्तु उपस्थिति की तिथि से १५ दिन के भीतर मांग किये जाने पर , अध्यक्ष यदि उचित समझें तो उस प्रतिवेदन पर विचार के लिये समय नियत करेंगे . सदन के समक्ष न कोई औपचारिक प्रस्ताव होगा और न मत लिये जायेंगे .




२१७ - सदन में उपस्थापन से पूर्व प्रतिवेदन का प्रकाशन या परिचालन -

अध्यक्ष , उनसे प्रार्थना किये जाने पर और जब सदन सत्र में न हो समिति के प्रतिवेदन के प्रकाशन या परिचालन का आदेश दे सकेंगे यद्यपि वह सदन में उपस्थापित न किया गया हो . ऐसी अवस्था में प्रतिवेदन आगामी सत्र में प्रथम सुविधाजनक अवसर पर उपस्थापित किया जायगा .




२१८ - प्रक्रिया के संबंध में सुझाव देने की शक्ति -

( १ ) समिति की अध्यक्ष के विचारार्थ उस समिति से संबंधित प्रक्रिया के विषयों पर संकल्प पारित करने की शक्ति होगी जो प्रक्रिया में ऐसे परिवर्तन कर सकेंगे जिन्हें वे आवश्यक समझें .

( २ ) इन समितियों में से कोई अध्यक्ष के अनुमोदन से इन नियमों में सन्निहित उपबन्धों को क्रियान्वित करने के लिये प्रक्रिया के विस्तृत नियम बना सकेंगी .




२१९ - प्रक्रिया के विषय में या अन्य विषय में निर्देश देने की अध्यक्ष की शक्ति -

( १ ) अध्यक्ष समय - समय पर समिति के सभापति को ऐसे निर्देश दे सकेंगे जिन्हें वे उसकी प्रक्रिया और कार्य के संगठन के विनियमन के लिये आवश्यक समझें .

( २ ) यदि प्रक्रिया के विषय में या अन्य किसी विषय में कोई संदेह उत्पन्न हो तो सभापति यदि ठीक समझें तो उस विषय को अध्यक्ष को निर्दिष्ट कर देंगे जिनका विनिश्चय अन्तिम होगा .




२२० - समिति का समाप्त कार्य -

कोई समिति जो सदन के विघटन से पूर्व अपना कार्य समाप्त करने में असमर्थ हो तो वह सदन को प्रतिवेदन देगी कि समिति अपना कार्य समाप्त करने में समर्थ नहीं हो सकी है . कोई प्रारम्भिक प्रतिवेदन , ज्ञापन या टिप्पणी जो समिति ने तैयार की हो या कोई साक्ष्य जो समिति ने लिया हो वह नयी समिति को उपलब्ध कर दिया जायगा .




२२१ - प्रमुख सचिव , समितियों का पदेन प्रमुख सचिव होगा -

प्रमुख सचिव इन नियमों के अन्तर्गत नियुक्त समस्त समितियों के पदेन प्रमुख सचिव होंगे .




२२२ - समितियों के सामान्य नियमों की प्रवृत्ति -

किसी विशेष समिति के लिये जब तक अन्यथा विशेष रूप से उपबन्धित न हो इस अध्याय के सामान्य नियम के उपबन्ध सब समितियों पर प्रवृत्त होंगे .


, newline, Samitiyon, Ki, Prakriya, (, K, ), Samanya, 200, -, Sadan, Niyukti, 1, Pratyek, Sadharan, Nirvaachan, Ke, Uprant, Pratham, Satra, Prarambh, Hone, Par, Aur, तदुपरान्त, Vittiya, Year, Poorv, Ya, Samay, Jab, Kabhi, अन्यथा, Awsar, Utpann, Ho, ,, Vibhinn, Samitiyan, Vishisht, प्रयोजनों, Liye, Dwara, Nirvachit, Nirmit, Jayegi, Adhyaksh, Naam, NirDeshit, Hogi, Parantu, Koi, Sadasya, Kisi, Samiti, Me, Tab, Tak, Niyukt, Nahin, Kiye, Jayenge, Th, Us, Karya, Karne, Sahmat, N, ., 2, Aakasamic, रिक्तिताओं, Poorti, YathaStithi, Athvaa, Nirdeshan, Karke, Jo, Aisi, कालावधि, असमाप्त, Bhag, Pad, Dharann, Karenge, Jiske, Wah, Sthan, Gaye, Hain, Karte, Karyawahi, Is, Aadhaar, Aniyamit, रूकेगी, Gayi, Sadasyata, Apatti, Sammilit, Jane, Jaay, Ka, Aise, घनिष्ट, Prakar, Vaiyaktik, Aarthik, Pratyaksh:, Hit, Usase, विचारणीय, Vishayon, Pratikool, Prabhav, Sakta, To, NimnLikhit, Jins, Ne, Apni, Tatha, Samne, Ane, Wale, Prasthapit, AaRopit, Swaroop, Chahe, सुतथ्यतया, Kathan, Karega, ख, Baad, Ko, विरूद्व, Stithi, बताने, Dega, ग, Yadi, Tathyon, Sambandh, Vivad, Se, Jiski, Apne, Mamale, Samarthan, Likhit, Anya, Sakshy, Pesh, Kah, Sakega, 9th, Samaksh, Tarah, Diye, Vichar, Kar, Liya, Uske, Apna, विनिश्चिय, Antim, Hoga, ङ, Vinishcay, Diya:, Banaa, Rahega, Gaya:, Charcha, Lega, Kintu, Use, Mat, Dene, Haq, च, Yah, Karein, Uska, विचाराधीन, Vishay, Uski, Turant, Samapt, जायगी, Jin, Baithakon, Aisa, Upasthit, Tha:, Unki, Prabhavit, Vyakhaya, Niyam, Hona, Chahiye, Jan, Warg, Sath, Roop, Rajya, Neeti, Hokar, Vyakti, Prithak, 201, Sabhapati, Sadasyon, Kiya, Jayega, Upadhyaksh, Paden, Honge, Karan, Asamarth, Unka, Rikt, Unke, Sakenge, 3, उपवेशन, Anupasthit, Baithak, Karegi, 202, Ganpurti, Gathit, Kul, Sankhya, तृतीयांश, अन्यून, In, Niyamon, उपबन्धित, Nirdharit, Dauran, Adhe, Ghante, Sthagit, Denge, Punah, Samvet, पंचमांश, Bhi, Nyun, Rahein, Bhavi, Tithi, Up, Antargat, Do, Lagataar, दिनांकों, Chuki, Tathya, प्रतिवेदित, Sthagan, 4, PratiVedan, Vinishcit, Aage, Kya, 203, उपवेशनों, Hataya, Jana, अनुज्ञा, Bina, Spashtikaran, Aagya, Jaa, Sakegi, Dinank, Ghosit, Baat, Hote, Hue, Adheen, Ganana, Hetu, Lucknow, Bahar, Ayojit, Dvitiya, Lene, Aaye, Le, Saken, Suchna, Pramukh, Sachiv, Hee, Uplabdh, Karaa, De, Prayojan, Unhe, Ukt, Samjha, 204, Tyag, Patra, स्वहस्तलिखित, Sambodhit, 205, Padawadhi, Inme, Ek, Vishesh, Nirdisht, Naee, 206, Matdaan, Samast, Prashno, Nirdharan, मताधिक्य, Samya, Dasha, Doosra, Nirnnayak, 207, Shakti, Kinhi, Janch, Adhik, Jinme, अविभक्त, Shaktiyan, Prapt, Sampoorn, Samjhe, Anumodit, Nirdesh, Anusandhan, स्पष्टतया, Ullekh, 208, Din, सुगमतया, 209, Raha, Vibhajan, Mang, कायर्वाहियों, Nilambit, Raay, 210, Vidhaan, Bhawan, Awashyak, Parivartit, Mamla, जायगा, Jinka, 211, Wa, Abhilekh, Dastawej, मांगने, Sakshi, Hastaksharit, Adesh, Ahoot, Dastawejon, Upyog, SwaVivek, Gupt, Gopneey, Rakha, Gyan, Anumodan, Wapas, Usme, Rupantar, Sapath, Vyaktiyon, Karane, Patron, Abhilekhon, उपस्थापन, Apeksha, कतर्व्यों, Palan, Karna, Shashan, इन्कार, Prakat, Surakshaa, 5, Aivam, Ansh, Banega, 212, Paksh, Adhivakta, Pratinidhitva, KaRaaye, Anumati, Isi, 213, साक्षियों, Nimn, Bulaye, Reeti, Puchhe, Ullikhit, Anusaar, Pehle, Prashn, Poochh, तत्संबंधी, Puchhne, Sangat, Rakhne, Kahan, Aa, Chuka, Jinhe, Rakhna, Samajhta, Shabdashah, 6, Sambhi, 214, Hastakshar, Or, Mil, Sakte, चुनेगी, 215, Theek, प्रतिलिपि, Pure, उपस्थापित, 216, Jisne, प्राधिकृत, Absence, Patal, Rakh, अभ्युक्ति, Aapko, Sankshipt, Simit, रखेंगे, Sifarishon, Dhyan, आकृष्ट, Sambandhit, Mantri, Usi, Sarakari, Drishtikonn, Prastavit, Uttar, Upastithiti, 15, Bheetar, Uchit, Niyat, Aupcharik, Prastav, 217, Prakashan, परिचालन, Unse, Praarthna, Yadyapi, Avastha, Agami, Suvidhajanak, 218, Sujhav, Vichararth, SanKalp, Parit, Parivartan, सन्निहित, Upbandhon, Kriyanvit, Vistrit, 219, Sangathan, Viniyaman, sandeh, 220, Vighatan, Degi, Samarth, सकी, Prarambhik, ज्ञापन, Tippanni, Taiyaar, Nayi, 221, 222, Pravriti, Adhyay, Upbandh, Sab, प्रवृत्त



सम्बन्धित महत्वपूर्ण लेख
संसदीय समिति गठित करने के सामान्य नियम

Current Gk Gk In Hindi Ptet Result Rptet Rajasthan Gk Admit Card Answer Key India Gk Question Answers In Hindi Reet Patwari rajasthan


Labels,,,