Central Budget 2017 - 18 Income Tax and Expenditures


Rajesh Kumar at  2018-08-27  at 09:53:16
Central Budget 2017 - 18 Income Tax and Expenditures
Central Budget 2017 - 18 Income Tax and Expenditures

Central Budget 2017 - 18 Income Tax and Expenditures केन्द्रीय बजट:2017-18
जयंत राय चौधरी

नवंबर में विमुद्रीकरण के सुदृढ़ कदम के तीन महीने बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक बजट पेश किया, जिसका लक्ष्य गरीबों और मध्यम वर्ग की सहायता करना है, जिसमें सरकारी खर्च में बढ़ोतरी और आयकर में रियायतों के प्रस्ताव किए गए हैं.

सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों, बुनियादी ढांचा और गरीबी के खिलाफ संघर्ष पर खर्च में बढ़ोतरी करने और इन आशंकाओं का निराकरण करने का प्रयास किया है कि विमुद्रीकरण के दुष्प्रभाव अगले वित्तीय वर्ष में नहीं जाएंगे. यह सब ऐसे समय किया गया है, जब महत्वपूर्ण राज्य विधानसभा चुनाव सामने हैं, जिनमें नकदी पर पाबंदी और केंद्र में मोदी सरकार का रिपोर्ट कार्ड प्रमुख मुद्दे बनते जा रहे हैं.

श्री जेटली ने रु. 2.5 लाख से रु. 5 लाख के बीच कमाने वालों के लिए बुनियादी व्यक्तिगत आयकर की दर 5 प्रतिशत करने और छोटी कंपनियों की रु. 50 करोड़ तक की वार्षिक आमदनी पर कर की दर वर्तमान 30 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने की घोषणा की है. 50 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक कमाने वालों पर 10 प्रतिशत अधिभार लगाया गया है. एक करोड़ रुपये से अधिक आमदनी वाले लोगों पर 15 प्रतिशत ‘अमीर’ अधिभार पहले से लागू है. अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि प्रवेश के स्तर पर कर की दर कम रखने का लक्ष्य राहत देने के साथ ही छोटे व्यापारियों आदि को कर अदा करने के लिए प्रेरित करना भी है, जो कर अदा करने और आयकर कर्मचारियों द्वारा तंग किए जाने से बचना पसंद करते रहे हैं.

शेयर बाजारों को लाभांश पर कर में वृद्धि और शेयर कारोबार पर नया कर लगाए जाने की आशंका थी. परंतु, बजट प्रस्तावों में ऐसा न किए जाने का बाजार में स्वागत हुआ और सेंसेक्स बजट के दिन 486 अंक की बढ़ोतरी के साथ 28142 पर बंद हुआ, जो पिछले 3 महीने में सबसे अधिक था.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं श्री जेटली द्वारा प्रस्तुत बजट को ‘‘ उत्तम’ ’ बताया. यह माना जा रहा है कि उन्होंने बजट से पहले व्यक्तिगत तौर पर सचिवों के साथ अनेक बैठकें की थी.

निवेश

वित्तीय वर्ष 2016-17 में आर्थिक वृद्धि दर घटकर 7.1 प्रतिशत पर चले जाने को देखते हुए वित्त मंत्री के समक्ष एक कठिन चुनौती थी, क्योंकि उन्हें वृद्धि दर बढ़ाने के लिए अर्थव्यवस्था में धन का प्रवाह बढ़ाना था, आयकर में रियायत देकर मध्यम वर्ग को खुश करना था, जो विमुद्रीकरण से नाखुश दिख रहे थे. इसी प्रकार किसानों को भी राहत पहुंचानी थी, जो बुआई के मौसम के दौरान नकदी की कमी के कारण त्रस्त थे, और व्यापारियों एवं छोटे उद्यमियों की सहायता करनी थी, ताकि वे फिर से सामान्य स्थिति में आ सकें.

नतीजतन सरकार ने यह निर्णय किया कि पूंजी निवेश में 25.4 प्रतिशत की भारी वृद्धि की जाए. इसके पीछे यह उम्मीद रही है कि इसका अर्थव्यवस्था में गुणक प्रभाव पड़ेगा. रेल, सडक़ और जहाजरानी पर करीब 2.41 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का वायदा किया गया है. किसानों को 10 लाख करोड़ रुपये के ऋण और बेहतर फसल बीमा कवरेज देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. अगले 5 वर्षों में किसानों की आय दोगुनी करने की प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिबद्धता को देखते हुए वित्त मंत्री ने ग्रामीण और कृषि क्षेत्र के खर्च में 24 प्रतिशत बढ़ोतरी करने की भी घोषणा की है.

सस्ती आवास योजनाओं के लिए अनेक रियायतों की घोषणा की गई है, भूसंपदा कारोबार को उद्योग का दर्जा देने का वायदा किया गया है, जिससे कारोबारियों के लिए ऋण सस्ते होंगे और आसानी से मिल सकेंगे. एक बॉण्ड का भी वायदा किया गया है, जिसमें संपत्ति बेचने वालों के लिए निवेश को पूंजी लाभ देयता के प्रति सेट ऑफ किया जाएगा.

लोगों को नकदी के इस्तेमाल से परहेज करने और डिजिटल अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने की प्रधानमंत्री की परिकल्पना को साकार बनाने के लिए श्री जेटली ने छोटे व्यापारियों पर प्रकल्पित कर की दर 8 प्रतिशत से घटाकर 6 प्रतिशत करने और 3 लाख रुपये से ऊपर की नकद खरीद पर रोक लगाने का प्रस्ताव किया है. कंपनियों को अब नकद खर्च का दावा सिर्फ 10 हजार रुपये तक करने की अनुमति होगी और धर्मार्थ संगठन केवल 2000 रुपये तक नकद दान प्राप्त कर सकेंगे.

परंतु, इन खर्च योजनाओं और रियायतों के लिए धन जुटाने के वास्ते वित्त मंत्री को अपने राजकोषीय घाटे का लक्ष्य पूर्व निर्धारित 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 3.2 प्रतिशत अथवा रु. 32,000 करोड़ करना पड़ा.

चुनाव बॉण्ड

संभवत: बजट में किए गए कुछ ठोस उपायों में से एक राजनीतिक खर्च को युक्तिसंगत बनाने से सम्बद्ध है, जिसके लिए चुनाव बॉण्ड शुरू करने का प्रस्ताव किया गया है. इसे चेक या निर्दिष्ट बैंकों से डिजिटल लेनदेन के जरिए वैध धन से बाजार से खरीदा जा सकेगा और क्रेता की पसंद के राजनीतिक दल को दिया जाएगा.

चुनाव बॉण्ड एक बेजोड़ प्रयोग है, जिसके लिए सरकार को वैधानिक परिवर्तन करने होंगे, जिनके बारे में अधिकारियों का कहना है कि तैयारी चल रही है. ये बॉण्ड भारतीय रिज़र्व बैंक से अधिकृत होंगे और किसी अनुसूचित बैंक या बैंकों को चुनाव बॉण्ड जारी करने के लिए अधिकृत किया जाएगा. चुनाव खर्च में योगदान करने का इच्छुक कोई भी व्यक्ति वैध धन से चुनाव बॉण्ड खरीद सकेगा. बाद में इसे किसी भी संगठित राजनीतिक दल के निर्दिष्ट खाते में जमा कराया जा सकेगा. इसके बाद पार्टी चुनाव खर्च के लिए उसे कैश करा सकेगी. बॉण्ड खरीदने और अपनी पसंद के राजनीतिक दल को देने के मामले में व्यक्ति या संस्था को इस बात की गोपनीयता बनाए रखने की अनुमति होगी कि वे किस के लिए धन की व्यवस्था कर रहे हैं.

सरकार ने बजट में घोषणा की है कि राजनीतिक दलों को नकद चंदा वर्तमान 20,000 रुपये की बजाए 2,000 रुपये तक सीमित रहेगा और यह भी कि उससे अधिक चंदा चेक के जरिए अथवा इलेक्ट्रॉनिक अंतरण के जरिए या नाम रहित बॉण्डों के जरिए प्राप्त किया जा सकेगा, जो वैध ढंग से खरीदे जा सकते हैं और किसी कंपनी या व्यक्ति की पसंद के अनुसार किसी भी राजनीतिक दल को दिए जा सकते हैं. यह प्रस्ताव भारत के सर्वाधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश सहित राज्य विधानसभाओं के महत्वपूर्ण चुनाव से कुछ दिन पहले किया गया है.

वित्त मंत्री ने अन्य महत्वपूर्ण घोषणा विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड को समाप्त करने के बारे में की, जो घिसे-पिटे नौकरशाहों के एक क्लब के रूप में विदेशी निवेश की जांच करता है. इस घोषणा से ऐसे निवेशक निश्चय ही प्रसन्न होंगे, जिन्हें भारत की लाल फीताशाही से जूझना पड़ता है और जिसके चलते व्यापार करने में सुगमता संबंधी विश्व बैंक की रैंकिंग में भारत 130वें स्थान पर है और वह भी इसके बावजूद कि पिछले वर्ष उसने 12 स्थान की छलांग लगाई थी.

राजकोषीय घाटा

एक ऐसे वर्ष में, जबकि घरेलू स्तर पर विमुद्रीकरण के कारण आर्थिक उथल-पुथल का सामना करना पड़ रहा हो और अमरीकी राजकोषीय नीतियों तथा संरक्षणवादी उपायों के कारण प्रतिकूल वैश्विक माहौल, जिसका असर उभरते बाजारों पर पडऩे की आशंका हो, के चलते सरकार ने नियमों में छूट देते हुए और वर्ष 2017-18 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 3.2 प्रतिशत निर्धारित करते हुए एक आसान मार्ग अपनाने का निर्णय किया है.

राजकोषीय घाटे के लक्ष्य में छूट के निर्णय की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वायदा किया कि अगले वर्ष यह लक्ष्य 3 प्रतिशत रखा जाएगा. उन्होंने संकेत दिया कि एक समिति ने अगले 3 वर्षों के लिए वित्तीय घाटा 3 प्रतिशत रखने की अनुशंसा की थी, लेकिन इसमें छूट का भी एक खंड रखा गया था. समिति ने राजकोषीय घाटे के निर्धारित लक्ष्य से सकल घरेलू उत्पाद के 0.5 प्रतिशत तक विचलन का प्रावधान रखा है. छूट के इन प्रावधानों को अपनाने के कारणों से समिति ने अर्थव्यवस्था में ‘‘ दूरगामी सुधारों और अप्रत्याशित राजकोषीय प्रभावों’ ’ को शामिल किया है.

सरकार ने पहले 2017-18 के लिए राजकोषीय घाटा 3 प्रतिशत निर्धारित करने की तैयारी की थी. घाटे में रियायत देने का निर्णय वित्त मंत्रालय की टीम ने यह एहसास होने के बाद किया कि वे जो बड़े खर्च की योजना बना रहे थे, उसे कर राजस्व द्वारा वित्त पोषित करना मुश्किल है और वह भी ऐसे वर्ष में, जबकि अर्थव्यवस्था विमुद्रीकरण के बाद धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में लौट रही है.

परंतु समीक्षकों ने आगाह किया है कि यदि कुछ राजस्व लक्ष्य निर्धारित नहीं किए गए तो 3.2 प्रतिशत का यह लक्ष्य हासिल करना भी कठिन होगा. कर राजस्व वसूली का रु. 12.27 लाख करोड़ का ऊंचा लक्ष्य, जो पिछले वर्ष की वसूली से 12.5 प्रतिशत अधिक है, पहली नजर में विशाल लगता है. इसी प्रकार रु. 72,500 करोड़ का विनिवेश लक्ष्य हासिल करना भी कठिन कार्य है, विशेषकर इसे देखते हुए कि अमरीकी राजकोषीय नीतियों और वैश्विक संरक्षणवादी प्रवृत्तियों के चलते जीडीपी बढ़ोतरी की रफ्तार मंदी रहने और शेयर बाजारों में उथल-पुथल की स्थिति रहने की आशंका है.

किंतु, वित्त मंत्री इस बात से आश्वस्त हैं कि वे लक्ष्य हासिल कर लेंगे. वित्त मंत्री ने संकेत दिया है कि सरकार की रु. 21.47 लाख करोड़ की अभूतपूर्व विशाल खर्च योजनाएं, भारत के लिए अभी तक सबसे बड़ा बजट खर्च है और यह सब अर्थव्यवस्था के रूपांतरण की योजनाओं का हिस्सा है. 2016-17 से भारत न केवल बजट खर्च के लिए अपेक्षित धन जुटाने में सफल रहा है बल्कि उसे खर्च करने में भी सफलता मिली है. पूर्ववर्ती वर्षों में सरकार ने तुलन बहियों के तालमेल के लिए खर्च में कटौती का रास्ता अपनाया था, परंतु अब सरकार यह महसूस करती है कि संशोधित व्यय को बजट व्यय से कम रखने के कई वर्षों के बाद अब वह इस प्रवृत्ति को बदलने में सक्षम है. नतीजतन संशोधित व्यय (2016-17 के लिए) बढक़र रु. 34,000 करोड़ पर पहुंच गया है.

अन्य लक्ष्यों के अंतर्गत सरकार ने आयकर वसूली में 24.9 प्रतिशत बढ़ोतरी का लक्ष्य रखा है. यह तभी संभव हो पाएगा, जबकि राजस्व विभाग डिजिटल भुगतानों और विमुद्रीकरण के बाद जमा किए गए धन का ठीक-ठीक आकलन कर सके, क्योंकि सरकार को उत्पाद या कॉर्पोरेट कर वसूली में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं है. सरकार को लगता है कि उत्पाद शुल्क की वसूली में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी नहीं हो पाएगी, जो औद्योगिक गतिविधियों का बैरोमीटर समझी जाती है. उत्पाद वसूली में मात्र 5 प्रतिशत वृद्धि होने का अनुमान है, जो 2016-17 में रु. 2,47,500 करोड़ थीं और 2017-18 में बढक़र रु. 2,75,000 करोड़ पर पहुंच जाने का अनुमान है. इसी प्रकार कॉर्पोरेट टैक्स में 9 प्रतिशत बढ़ोतरी होने की उम्मीद है, जो रु. 4.93 लाख करोड़ से बढक़र रु. 5.38 लाख करोड़ पर पहुंचने का अनुमान है. पिछले कुछ वर्षों से सीमा शुल्क कच्चे तेल के आयात पर निर्भर रहा है, इसमें भी 12.9 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है और यह रु. 2,17,000 करोड़ से बढक़र रु. 2,45,000 करोड़ पर पहुंचने का अनुमान है. सरकार यह मान कर चल रही है कि कच्चे तेल के दाम 55-60 डॉलर प्रति बैरल पर टिके रहेंगे, जो ओपेक या तेल उत्पादक देशों के संगठन के धीरे-धीरे दाम बढ़ाने के निर्णय को देखते हुए उचित लग रहा है.

हालांकि सरकार ने बाइबैक के बाद अपनी निवल बाजार उधारी रु. 3.48 लाख करोड़ तक नीचे रखने के लिए ऋण लिए हैं, परंतु यह लक्ष्य पिछले वर्ष के रु. 4.25 लाख करोड़ की तुलना में बहुत कम है. यदि राजस्व में कोई रिसाव होता है, तो इन आंकड़ों पर फिर से विचार करने की आवश्यकता पड़ सकती है.

 भारत का कम कर राजस्व
सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात में भारत का कर राजस्व विश्व में सबसे कम है. वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि संगठित क्षेत्र में 4.2 करोड़ व्यक्तियों के रोजगार में होने का अनुमान है, जिनमें से केवल 1.74 करोड़ वेतनभोगी व्यक्तिगत करदाता के रूप में आयकर विवरणी दाखिल करते हैं.
असंगठित क्षेत्र में 5.6 करोड़ व्यक्तिगत उद्यमी और कंपनियां होने का अनुमान है, जिनमें से केवल 1.81 करोड़ आयकर रिटर्न दाखिल की जाती हैं.
31 मार्च, 2014 तक भारत में पंजीकृत कुल 13.94 लाख कंपनियों में से मूल्यांकन वर्ष 2016-17 के लिए केवल 5.97 लाख कंपनियों ने अपनी रिटर्न दाखिल की.
मूल्यांकन वर्ष 2016-17 के लिए रिटर्न दाखिल करने वाली 5.97 लाख कंपनियों में से 2.76 लाख कंपनियों ने घाटा दिखाया या शून्य आय प्रदर्शित की. 2.85 लाख  कंपनियों ने कर पूर्व लाभ 1 करोड़ रुपये से कम दर्शाया. 28,667 कंपनियों ने 1 करोड़ से 10 करोड़ के बीच मुनाफा दिखाया और मात्र 7,781 कंपनियों ने कर पूर्व लाभ 10 करोड़ रुपये से अधिक दिखाया.
2015-16 में 3.7 करोड़ व्यक्तिगत रिटर्न भरी गईं, जिनमें से 99 लाख ने अपनी आय रु. 2.5 लाख वार्षिक की छूट सीमा से कम प्रदर्शित की, 1.95 करोड़ करदाताओं ने अपनी आय रु 2.5 लाख से रु. 5 लाख के बीच, 52 लाख करदाताओं ने रु. 5 लाख से रु. 10 लाख के बीच और केवल 24 लाख लोगों ने अपनी आय 10 लाख रुपये से अधिक दिखाई.
रु. 5 लाख से अधिक आय घोषित करने वाले 76 लाख निर्धारितियों में से वेतन वर्ग में 56 लाख व्यक्तियों ने अपनी आय रु. 5 लाख से अधिक बताई. समूचे देश में रु. 50 लाख से अधिक आमदनी घोषित करने वाले निर्धारितियों की संख्या मात्र 1.72 लाख है.
मंत्री ने बताया कि इन सब आंकड़ों के विपरीत पिछले 5 वर्षों में 1.25 करोड़ से अधिक कारें बेची गई और व्यापार या पर्यटन के लिए वर्ष 2015 में 2 करोड़ भारतीय नागरिकों ने विदेश यात्राएं की.

लक्षित विषय
सरकार ने बजट में 10 विषय कार्यसूची में रखे हैं:-
1.किसान: सरकार का लक्ष्य है कि 5 वर्ष में किसानों की आय दोगुनी की जाएगी ;
2.ग्रामीण आबादी: रोजगार प्रदान करना और बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराना ;
3.युवा: शिक्षा, कौशल और रोजगार के माध्यम से उनका सशक्तिकरण ;
4.निर्धन और उपेक्षित वर्ग: सामाजिक सुरक्षा की सुदृढ़ व्यवस्था करना, स्वास्थ्य देखभाल और सस्ते मकान उपलब्ध कराना ;
5.बुनियादी ढांचा: सक्षमता, उत्पादकता और जीवन की गुणवत्ता के लिए बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना ;
6.वित्तीय क्षेत्र: सुदृढ़ संस्थानों के जरिए विकास और स्थायित्व बढ़ाना ;
7.डिजिटल अर्थव्यवस्था: गति, जवाबदेही और पारदर्शिता के लिए अर्थव्यवस्था को डिजिटल बनाना ;
8.लोकसेवा: कारगर शासन और जनभागीदारी के जरिए सक्षम सेवा वितरण ;
9.विवेकपूर्ण राजकोषीय प्रबंधन: संसाधनों का अनुकूलतम उपयोग सुनिश्चित करना और वित्तीय स्थिरता बनाए रखना ; और
10.कर प्रशासन: ईमानदार करदाता का सम्मान करना.

सरकारी अधिकारियों का कहना है कि चालू बजट में इन विषयों को 3 प्रमुख विषयों के अंतर्गत समेकित किया जा सकता है -  अर्थव्यवस्था का रूपांतरण, उसे शक्ति प्रदान करना और व्यवस्था को स्वच्छ बनाना.


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